kabil shayari: आप हमेशा ही अपने महबूब के प्यार में अपने दिल को काबिल करते आए हो. जब आपको उनसे पहली नजर में प्यार हो गया था, तो आपने उन्हें यही पूछा था कि आप उनके प्यार के काबिल हो या फिर नहीं हो. और जब उन्होंने आपको उनके प्यार में काबिल होने का फैसला सुनाया था, भी आप उनके प्यार में पूरी तरह से खो गए थे.
या फिर काबिल अर्थात किसी बात का इल्मदाँ इंसान जो उस बात का ज्ञाता या फिर विद्वान हो. जब आप अपने दिलबर को pyar ke kabil है या नहीं यह पूछने का इल्म रखते हो तो उसी में आपके दिल की सच्चाई का पता चल जाता है.
मैं इस काबिल ही नहीं के तुझ से नजरें भी मिला पाऊं प्यार तो बहुत है तुझ से मगर इजाजत नहीं के इजहार कर पाऊं -Vrushali
mai iss kabil hi nahi
ke tujh se nazre bhi mila pau
pyar to bahut dur hai tujh se
magar ijazat nhi ke izhaar kar pau
क्या मैं तेरे काबिल नहीं? जो तू देता है मुझे सज़ा इतनी दिला दे मौत का फ़रमान मुझे तकलीफ़ नहीं होगी जुदाई के जितनी -Vrushali
kya mai tere kabil nhi?
jo tu deta hai mujhe saja itni
dila de maut ka farman mujhe
taklif nahi hogi judai ke jitni
Listen to Kabil Shayari | Voice-Over: Santosh Salve
इन काबिल शायरी को Santosh Salve इनकी आवाज में सुनकर खुद को उनके प्यार के काबिल समझोगे!
तेरी नज़रों में काबिल खुद को बनाना चाहती हूं खड़ी हो सकू तेरे सामने ऐसा खुद को बनाना चाहती हूं -Vrushali
teri nazro me kabil
khud ko banana chahti hu
khadi ho saku tere samne
aisa khud ko banana chahti hu
Kabil Shayari: मोहब्बत के काबिल हूं, तो मेरे प्यार का इंकार मत करना..
जब से आप को अपने दिलबर से काबिल और सच्ची मोहब्बत हुई है, आप खुद को बड़े किस्मत वाला मानते हो. आपको किसी भी बात का कोई भी अभिमान नहीं है. और इसी वजह से आप हमेशा उन्हें उनके प्यार के काबिल है या नहीं यह बात पूछते हुए उन्हें तवज्जो देते हो.
तेरे किसी काम आऊं तो खुद को खुशनसीब समझू काबिल नहीं हूं इस क़दर फिर भी ये दुआ मैं ज़रूर करूं -Vrushali
tere kisi kaam aau
to khud ko khushnaseeb samjhu
kabil nhi hun iss kadar
fir bhi ye dua mai jarur karun
काबिल हो सकूँ तेरे इतनी सी आरजू है मेरी हो सके तो कर कुबूल मुझे बस इतनी सी इल्तिज़ा है मेरी -Vrushali
kabil ho saku tere
itni si aarzu hai meri
ho sake to kar kubul mujhe
bas itni si iltija hai meri
Shayari on Kabiliyat: मेरा यह काबिल दिल ही तुम्हारे लिए रखा है मैंने…
आपका दिल जब मासूम था तो उसे यह भी नहीं पता था कि मोहब्बत क्या चीज होती है. आप हमेशा बस अपने ही धुन में कायम रहते थे. आपको तो दुनिया से भी कोई वास्ता नहीं था क्योंकि आपको किसी की कभी कोई जरूरत ही नहीं पड़ी थी.
शायद इसी के काबिल हूं मैं के सदा तेरी नाराजगी सहती रहूं वजह छोटी हो या बड़ी बस तुझ से हमेशा दूर ही रहूं -Vrushali
shayad isi ke kabil hu mai
ke sada teri narazgi sahti rhu
wajah choti ho ya badi
bas tujh se humesha dur hi rahu
प्यार के काबिल तो है तू मेरे, बस नाराज ना होना मुझसे तुम कभी…
आपको इस बात से कोई समस्या नहीं है कि आपका महबूब आप ही से मोहब्बत करता है या नहीं. आपको उन्हें इस बात के दिए भरोसा देकर काबिल बनाना होगा और यह बात आप अब पूरी तरह से जान चुके हो. इसी वजह से आप उनसे अब यही दरख्वास्त कर रहे हो कि आप हमारे प्यार के kaabil तो हो अब आपको पूरे दिल से यह प्यार निभाना होगा.
मैं तेरे काबिल हूं
या नहीं यह मालूम नहीं..
तुझे दिल से निकालू,
यह मेरे बस में नहीं..
main tere kabil hun
ya nahin ye maloom nahin..
tujhe dil se nikaloo
yah mere bas mein nahin..
ए दिल, जबसे जान चुका हूं,
तू है मोहब्बत के काबिल..
तभी से सोचा मेरी जान के
लिए ही है मेरा ये दिल..
a dil, jabse jaan chuka hun,
tu hai mohabbat ke kabil..
tabhi se socha meri jaan ke
liye hi hai mera yeh dil…
काबिल है तेरी मोहब्बत
के बस तू वफा कर..
वाकिफ है तेरी नादानी से,
यू हमसे रूठा ना कर...
kabil hai teri mohabbat
ke bus tu wafa kar..
waqif hai teri nadani se
yu humse rutha na kar…
वो जरूर काबिल होगी इतनी शायद इसलिए करीब है तेरे मेरे तो अल्फाज़ भी दूर है तुझ से तू जो अब क़रीब नहीं रहता मेरे -Vrushali
wo jarur kabil hogi itni
shayad isiliye kareeb hai tere
mere to alfaz bhi dur hai tujh se
tu jo ab kareeb nhi rahta mere
1) दिल में तुम्हारे प्यार के फूलों जैसे महकना चाहता हूं मैं.. जानम आज तुम्हारे इश्क के काबिल बनना चाहता हूं मैं.. -Dipti
dil mein tumhare pyar ke phoolon
jaise mehkna chahta hun main..
janam aaj tumhare ishq ke
kabil banna chahta hun main..
2) न जाने तुमने मुझे क्यों अपना कहा ना था.. शायद मेरा प्यार ही तुम्हारे काबिल ना था.. -Santosh
na jaane tumne mujhe kyon
apna kaha na tha..
shayad mera pyar hi
tumhare kabil na tha..
3) चाहत में जानम मेरा दिल कभी करता तुझे सवाल नहीं.. तुम्हारे गालों पर जानम ये आंसू बहने के काबिल नहीं.. -Supriya
chahat mein janam mera dil
kabhi karta tujhe sawal nahin..
tumhare galon per janam ye
aansu bahne ke kabil nahin..
4) सच्ची मोहब्बत का आज तुम्हें ये पैगाम भेजता हूं.. बस तेरे प्यार में काबिल होने का अरमान रखता हूं.. -Dipti
sacchi mohabbat ka aaj
tumhen ye paigam bhejta hun..
bus tere pyar mein kabil
hone ka armaan rakhta hun..
5) हो सके तो महबूबा मुझसे चाहत आज तुम जता दो.. प्यार में तेरे काबिल हूं या नहीं बस इतना बता दो.. -Santosh
ho sake to mehbooba mujhse
chahat aaj tum jata do..
pyar mein tere kabil hun ya
nahin bus itna bata do..
6) तुम्हारे प्यार के काबिल होने का इंतजाम कराए बैठे हैं.. हम तो अपने दिल में चाहत के अरमान जगाए बैठे हैं.. -Supriya
tumhare pyar ke kabil hone ka
intejaam karaye baithe hain..
ham to apne dil mein chahat ke
armaan jagaye baithe hain..
7) प्यार में तेरे काबिल होना है, बस मुझे यही पता है.. अपने ही दिल में चाहत का अंजाम अब सोच रखा है.. -Dipti
pyar mein tere kabil hona hai,
bus mujhe yahi pata hai..
apne hi dil mein chahat ka
anjam ab soch rakha hai..
8) महबूबा उदासी भरी जिंदगी जीना हो गया है मुश्किल.. तुमसे बिछड़ कर तन्हाइयों के हो गया हूं अब मैं काबिल.. -Santosh
mehbooba udasi bhari jindagi
jina ho gaya hai mushkil..
tumse bichhad kar tanhaiyon ke
ho gaya hun ab main kabil..
9) बता दो जाना प्यार में क्या मेरा इतना भी हक नहीं.. अपनी काबिलियत पर मुझे जरा भी शक नहीं.. -Supriya
bata do jana pyar mein kya
mera itna bhi haq nahin..
apni kabiliyat par
mujhe jara bhi shaq nahin..
10) दिल का दर्द क्या बताऊं जाना अब जिंदगी अधूरी लगती है.. मोहब्बत के काबिल ना हो सका बस यही बात मुझे बुरी लगती है..! -Dipti
dil ka dard kya bataun jana
ab jindagi adhuri lagti hai..
mohabbat ke kabil na ho saka
bas yahi baat mujhe buri lagti hai..!
11) सोचता हूं चाहत में तुम्हारी ये दिल काबिल कैसे होगा.. तुम बिन अब मेरे प्यार का सपना मुकम्मल कैसे होगा.. -Santosh
sochta hun chahat mein tumhari
ye dil kabil kaise hoga..
tum bin ab mere pyar ka
sapna mukammal kaise hoga..
12) बता दो एक बार जाना क्या यह दिल तुम्हारे काबिल है.. तेरे बिना तन्हाई भरी जिंदगी जीना भी मेरा मुश्किल है.. -Supriya
bata do ek bar jana kya
yah dil tumhare kabil hai..
tere bina tanhai bhari jindagi
jina bhi mera mushkil hai..
13) समझो ना काबिल मुझे, एक बार मेरी तरफ मुंह मोड़ कर.. चला आऊंगा जानम तुम्हारे पास जिंदगी की तन्हाई छोड़कर.. -Dipti
samjho na kabil mujhe, ek
baar meri taraf munh mod kar..
chala aaunga janam tumhare paas
jindagi ki tanhai chhodkar..
14) बस एक बार इस दिल को जाना, काबिल समझो तुम.. अपनी मोहब्बत का हक मुझसे यूं ना छीनो तुम.. -Santosh
bus ek bar is dil ko
jaana, kabil samjho tum..
apni mohabbat ka haq
mujhse yun na chhino tum..
15) मेरा दिल चाहता है बस तुम्हारे सीने में धड़कना.. मेरे दिल की काबिलियत पर तुम कभी शक ना करना.. -Supriya
mera dil chahta hai bus
tumhare sine mein dhadakna..
mere dil ki kabiliyat par
tum kabhi shaq na karna..
16) तनहाई न जाने क्यों आज मुझे अपना बनाएं.. तुम मगर मेरे दिल के कभी करीब ना आए.. -Dipti
tanhai na jaane kyon
aaj mujhe apna banaye..
tum magar mere dil ke
kabhi kareeb na aaye..
17) प्यार के चमन में फूल काबिलियत का खिला दो.. जानम मेरी चाहत को तुम मंजिल से मिला दो.. -Santosh
pyar ke chaman mein phool
kabiliyat ka khila do..
jaanam meri chahat ko
tum manjil se mila do..
18) मोहब्बत में प्यार के काबिल समझू यह हो नहीं सकता.. सजदे में तेरे दिल को काबिल समझू यह हो नहीं सकता.. -Supriya
mohabbat mein pyar ke kabil
samjhu yah ho nahin sakta..
sajde mein tere dil ko kabil
samjhu yah ho nahin sakta..
19) अगर मिलते हम छप छुप कर तो जमाने को खबर नहीं होती.. काबिल समझो जाना मुझे, चाहत की कोई उम्र नहीं होती.. -Dipti
agar milte ham chup chup kar
to jamane ko khabar nahin hoti..
kabil samjho jana mujhe,
chahat ki koi umra nahin hoti..
20) काबिल नहीं हूं शायद, दिल में प्यास जगी है.. सपनों में भी बस तेरे प्यार की आस लगी है.. -Santosh
kabil nahin hun shayad,
dil mein pyas jagi hai..
sapnon mein bhi bus tere
pyar ki aas lagi hai..
21) ना जाने कैसे चाहत को दिल से दूर कर देते हैं.. बड़ी आसानी से नफरत के हमें काबिल समझते हैं.. -Supriya
na jaane kaise chahat ko
dil se dur kar dete hain..
badi aasani se nafrat ke
hamen kabil samajhte hain..
22) जानम मैं तुमसे फिर एकबार मोहब्बत करना चाहता हूं.. अपने दिल के जज्बातों को प्यार के काबिल करना चाहता हूं.. -Dipti
janam main tumse fir ek bar
mohabbat karna chahta hun..
apne dil ke jazbaaton ko
pyar ke kabil karna chahta hun..
23) मेरी मोहब्बत की प्यास ने तुझे अपना बना लिया.. महकती फिजाओं ने खुशबू को आज काबिल कर लिया.. -Santosh
meri mohabbat ki pyas ne
tujhe apna bana liya..
mehakti fizao ne khushbu ko
aaj kabil kar liya..
24) आंखों से उतरकर मुझे प्यार के काबिल बना गए हो.. इस कदर ओ सनम अब तुम मेरे दिल में समा गए हो! -Supriya
aankhon se utarkar mujhe
pyar ke kabil banaa gaye ho..
is kadar o sanam ab
tum mere dil mein sama gaye ho!
25) तुम्हें हमेशा के लिए अपना बनाना चाहूंगा.. अपनी चाहत को कभी भुलाना नहीं चाहूंगा.. -Dipti
tumhen hamesha ke liye
apna banana chahunga..
apni chahat ko kabhi
bhulana nahin chahunga..
26) दिलबर की आंखों में मोहब्बत के काबिलियत का पता छिपा होता है.. मेरे दिल के अरमानों में जानेमन बस तेरा ही नाम लिखा होता है.. -Santosh
dilbar ki aankhon mein mohabbat ke
kabiliyat ka pata chhipa hota hai..
mere dil ke armaanon mein janeman
bus tera hi naam likha hota hai..
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