Fiza Shayari ki hume tab jarurat padti hai jab hume prakruti me ek khas aur khushnuma environment dikhne lagta hai. Aise mausam me hume apne sathi ke yaad aana to lazmi hai. Scroll down kijiye aise hi behtreen ek se badhkar ek फ़िज़ा पर लिखी शायरियों ka.
दोस्तों, जब हम खुली फिज़ा में घूमने जाते हैं, तो हमें प्रकृति का एक उत्साहपूर्ण नजारा दिखाई देता है. मानो धरती जैसे हमारे मन को रोमांचित कर देने वाला अनुभव प्रदान करती है. फूलों की खुशबू हमें उनके तरफ खींचती है. इंद्रधनुष अपने रंगों की तरह हमें, अपने गुण बिखेरने को कहता है.
तेरे सुरीली आंखों का काजल
कर रहा मेरे दिल को कायल
सुनहरी जुल्फों को देखकर
हो रही है फिजा भी घायल
-Vrushali
tere surili aankhon ka kajal
kar rha mere dil ko kaayal
sunhari julfo ko dekhkar
ho rhi hai fiza bhi ghayal
उस की आँखों में नींदें मुस्कुराती थी
फिज़ा की रौनकें वो साथ लाती थी..
तेरी दीद के इंतज़ार में जान-ए-गज़ल
चाँदनी शब भर हमें जलाती थी..
-Moeen
uski aankhon mein neende muskurati thi
fiza ki raunake vah sath leti thi..
tere did ke intezar mein jaan e ghazal
chandni shab bhar hamen jalati thi..
तुझ से बिछड़ कर खुश हम नहीं टूट चुके हैं मगर आँख नम नहीं फिज़ा मातम मनाती हैं तुझ बिन हम ज़माने को सुनाते अपना गम नहीं
Moeen
tujh se bichd kar khush hum nahi
tut chuke hai magar aankh nam nahi
fija matam manati hai tujh bin
hum jamane ko sunate apna gam nahi
ना बारिश से ना
ठंडी हवा की फिजा से
दिल मेरा बहलता है
एक तेरी मुस्कान से
-Sagar
na barish se na
thandi hawa ki fiza se
dil mera bahlta hai
ek teri muskan se
फिज़ाएं ओढ़े हुए चादर उदासी की हैं तेरा दर्द मेरी उलफत की निशानी हैं मेरी आँखों की चमक अब मद्धम हुई हँसती आँखों में अब सिर्फ पानी हैं
Moeen
fijaye odhe hue chadar udasi ki hai
tera dard meri ulftat ki nishaani hai
meri aankhon ki chamak ab maddham hui
hasti aankhon main ab sirf paani hai
बिछड़े दिलबर खबर लें शहर की तेरे बिन शहर की फिज़ा गमगीन हैं.. तेरे हाथों की मेहंदी की कसम मेरे इश्क की दास्तान बड़ी रंगीन हैं..
-Moeen
bichde dilbar khabar le shahar ki
tere bin shahar ki fiza gum geen hai..
tere hathon ki mehandi ki kasam
mere ishq ki dastan badi rangeen hai..
तुझ संग जो गुज़रा ज़माना कितना सुहाना था तेरी गलीयों में रोज़ मेरा आना जाना था खुशनुमा फिज़ाएं लाती थी रोज़ पैगाम तेरा खत्म हुआ अब जो चाहत का ज़माना था
tujh sang jo gujra jamaana kitna suhana tha
teri galiyon main roj mera ana jana tha
khushnuma fijaye laati thi roj paigam tera
katm hua ab jo chahat ka jamaana tha
मेरी जिंदगी में तेरी सादगी का नशा छा रहा है.. इन मस्त फिज़ाओं में मुझे तुम पर और प्यार आ रहा है..
-Santosh
meri jindagi mein teri
saadgi ka nasha chha raha hai..
in mast fizaon me mujhe
tum par aur pyar aa raha hai..
तेरे बाद ये दास्तान रंगीन हो गई
तुझ बिन फिज़ाएं गमगीन हो गई
जब देख लिया तू भी हरजाई हैं
तेरी चौखट से बागी मेरी जबीन हो गई
*जबीन : पेशानी, मस्तक
Moeen
tere baad ye dastan rangin ho gai
tujh bin fijaye gamgin ho gai
jab dekh liya tu bhi harjai hai
teri chaukhat se bagi meri jabin ho gai
खिल उठे हैं फूल चमन में चिड़िया चहक रही है.. तुम्हारी खुशबू इन फिजाओं में अब भी महक रही है..
-Santosh
khil uthe hain phool chaman mein
chidiya chahak rahi hai..
tumhari khushboo in fizaon mein
ab bhi mehak rahi hai..
मुद्दत हुई गमगीन राहों पर हम चलते रहे उदास फिज़ा में दर्द के फूल खिलते रहे पुकारते रहे तुझे रात के सन्नाटों में हम इश्क की राहों में गिरते रहे… सँभलते रहे
Moeen
muddat hui gumgin rahon par hum chalte rahe
udas fija main dard ke phool khilte rahe
pukarte rahe tujhe raat ke sannaton main hum
ishq ki rahon main girte rahe…sambhlte rahe
फिज़ा शायरी चाहे कितना भी बहला दे, आपका दिल तो यार पर ही आया है..
आप जब भी अकेले बैठे होते हो, तो आप फिजा का सच्चा अनुभव ले रहे होते हो. अगर आपके साथ आपका यार ना भी हो, तो यह फिजा आपका साथ हरदम निभाती है. वह तो आपको अपने यार की ही हर दम याद दिलाती रहती है. आप फ़िज़ा को देख कर ही तो अपने दिल के अरमानों को सजाते हो.
यह फिजा भी मुझे
फीकी फीकी सी लगती है
जब देखता हूं तेरे
लबों को मुस्कुराते हुए
-Sagar
yeh fiza bhi mujhe
fiki fiki si lagti hai
jab dekhta hu tere
labon ko muskurate huye
तेरे बाद हँसने की आदत नहीं रही अब हमें ज़िंदगी की चाहत नहीं रही तेरी बेवफाई पर फिज़ा खून रोती हैं जीते हैं मगर जीने की हसरत नहीं रही
Moeen
tere baad hasne ki aadat nahi rahi
ab hume jindagi ki chahat nahi rahi
teri bevfai par fija khun roti hai
jite hai magar jine ki hasrat nahi rahi
तुझ बिन गुज़रती हैं ये शाम परेशां तुझ से बिछड़ कर हैं मेरा नाम परेशां मेरी दास्ताँ सुन कर रोती हैं फिज़ाएं मेरी हालत देख कर हैं अंजाम परेशां
Moeen
tujh bin gujarti hai ye shaam pareshaa
tujh se bichd kar hai mera naam pareshaan
meri dasta sun kar roti hai fijaaye
meri halat dekh kar hai anjaam pareshaan
चेहरे पर सजती थी खूब मुस्कुराहट जब वो मुझे सलाम करती थी.. उस की मासूमीयत क्या करें बयाँ फिज़ाएं भी उस से कलाम करती थी..
-Moeen
chehre per sajti thi khub muskurahat
jab vah mujhe salaam karti thi..
uski masumiyat kya karen bayan
fiza bhi us se kalam karti thi..
तेरी चाहत में ज़हर मिले या अमृत पी लेंगे ज़िंदगी से कैसा शिकवा हँसते गाते जी लेंगे फिज़ाओं में रस घोलेंगे अपनी गज़लों से तन्हाई में बैठ कर अपने ज़ख्म सी लेंगे
Moeen
teri chahat main jahar mile ya amrut pi lenge
jindagi se kaisa shikva haste gate ji lege
fijaon mai ras gholenge apni gajalon se
tanhi main baith kar apne jakhm si lenge
आपको ऐसे महसूस होता है, जैसे आपका दिलबर यहीं कहीं आपके पास बैठा हो. और आप उसके बालों को सहला रहे हो. उसका हाथ अपने हाथों में लेकर, उसे अपने प्यार का एहसास दिला रहे हो. उसकी आंखों में देखकर अपने प्यार का, अपनी चाहत का इजहार कर रहे हो. और आपका महबूब भी मुस्कुराते हुए, आंखें झुका कर, आपकी हर बात को, आपकी ही तरह महसूस कर रहा हो.
Listen to Fiza Shayari in Hindi
आप जब भी अपने आप से, कोई बात करते हैं तो आप जैसे अपने यार की यादों से ही बोलते रहते हैं. आपको हर दम उनकी आगोश में होने का ही एहसास होता रहता है. लेकिन आप जब से इस फ़िजा में घूमने लगे हो, तो आपके लफ्ज़ मानो जैसे खामोश से हो गए है.
जाने कितने अरसों बाद
गगन में चांद रौनक ले आया है
ये चांद नहीं है सिर्फ मेरे दोस्त
मायूस फिजा पर ये मुस्कान लाया हैं
-Vrushali
jaane kitne arso baad
gagan me chand raunak le aaya hai
ye chand nhi hai sirf mere dost
mayus fiza par ye muskan laya hai
तेरे बाद ज़माने ने हमें हैं सताया बहोत जिसे हँसना सिखाया था उसी ने रुलाया बहोत तेरे बाद ये फिज़ाएं भी खामोश हो गई आज शाम ढले बीता ज़माना याद आया बहोत
Moeen
tere baad jamane ne hume hai sataya bahot
jise hasna sikhaya tha usi ne rulaya bahot
tere baad ye fijaye bhi khamosh ho gai
aaj sham dhale bita jamana yaad aya bahot
Fiza Shayari in Urdu
आपके दिलबर के लिए आप अपने दिल की फिजा भी बदल चुके हो. आपके दिल में आप महफिल सजा कर बैठे हो. आपको अब बस उनके आने का ही इंतजार है. आप उन्हें कुछ इस तरह याद कर रहे हो, जैसे वह कब आएंगे और आपकी इस हसीन फिजा-ए-महफ़िल में उनके आने से चार चांद कब लग जाएंगे.
दिल की धड़कने थमा दे
हमें ऐसा शक्स मिला है
फिजा कर रही है बया एहसास
ऐसी कायनात ने मंजर लाया है
-Vrushali
dil ki dhadkane thama de
hume aisa shakhsh mila hai
fiza kar rhi hai baya ehesaas
aisi qaaynat ne manjar laya hai
आप दोनों की आंखें नजरों से ही आपके दिल की दास्तान बयां कर देती है. उनके थरथराते हुए लबों से जब एक लफ्ज़ भी निकलता है, तो फिजा मानो जैसे फिर से एक बार जवां हो उठती है. आपके दिल का माहौल जैसे फिरसे रंगीन हो जाता है. हमें यकीन है कि, हमारी इन रोमांटिक लव शायरियों की मदद से आप अपने दिल का माहौल फिर से एक बार हसीन और रंगीन करने में जरूर कामयाब होंगे..
सूरत-ए-यार हैं आँखों में बसी हुई तेरी यादों की हैं बज़्म सजी हुई.. मुद्दतों बाद वो लौटा हैं शहर अपने खुशबू सी हैं फिज़ाओं में बिखरी हुई..
-Moeen
surat e yaar hai aankhon mein basi hui
teri yadon ki hai bajm saji hui..
muddaton bad lauta hai vo shahar apne
khushbu si hai fizaon mein bikhri hui..
Shayari on Fiza | फिजा पर शायरी
यह फिजाएं हमारे
मन को बहला रही है
पर हमारा दिल आपकी
चाहत में धड़क रहा है
yeh fizayen hamare
man ko behla rahi hai..
per hamara dil aap ki
chahat mein dhadak raha hai..
कभी होती थी बहोत ये फिज़ाएं खुशगवार तुझे छू कर इतराती थी ये हवाएँ खुशगवार तेरे बाद नहीं भाता सावन का सुहाना मौसम तेरे संग होती थी कितनी ये बहारें खुशगवार
Moeen
kabhi hoti thi bahot ye fijaye khushgawar
tujhe chu kar itrati thi ye hawaye khushgawar
tere baad nahi bhata sawan ka suhana mausam
tere sang hoti thi kitni ye bahare khushgawar
हमारे अल्फाजों को जैसे
आपकी धड़कनों ने कैद किया..
ये असर इस फिज़ा का है..
या आपने कुछ इशारा किया..?
hamare alfazon ko jaise
aapki dhadkanon
ne kaid kiya..
ye asar is fiza ka hai
ya aapne kuchh ishara kiya..?
तारों की तरह तेरी यादें झिलमिलाती हैं तेरी मासूमीयत हमें रात भर जगाती हैं.. तेरे बिन शहर उदास रहता हैं दिलबर तुझे अब फिज़ाएं वापस बुलाती हैं..
-Moeen
taron ki tarah teri yaadein jhilmilati hai
teri masumiyat hamen raat bhar jagati hai..
tere bina shehar udaas rahata hai dilbar
tujhe ab fizaye vapas bulati hai..
इशारों की महफ़िल
कबसे सजके बैठी है..
आपके एक लफ्ज़ से
फिज़ा रंगीन हो चुकी है..
ishaaron ki mahfil
kab se sajke baithi hai..
aapke ek lafz se fiza
rangeen ho chuki hai…
वो आम सी लड़की बड़ी खास हैं हर दम वही मेरे दिल के पास हैं.. तुम बिन गुलशन वीरान पड़े हैं सब शहर की फिज़ाएं भी बड़ी उदास हैं..
-Moeen
vo aam si ladki badi khaas hai
har dam vahi mere dil ke pass hai..
tum bin gulshan viraan pade hai sab
shehar ki fizaaye badi udaas hai..
Conclusion
हमारी इन रोमांटिक और Fiza Shayari को सुनकर, आपके दिल की फिजा में एक नई बहार आई हो, तो नीचे कमेंट बॉक्स में comment करते हुए हमें जरूर सूचित कीजिएगा दोस्तों.
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