1.
उड़ान भर सपनों के लिए लगा जोश की एक ही दौड़ ताकी जिंदगी में कभी तुझे ना लगानी पड़े किससे होड़ -Vrushali
2.
दौड़ना हैं सदा.. रुकना हराम हैं इक्कीसवीं सदी का यहीं मिज़ाज हैं.. ठहरें तो तारीख भुला देंगी तुम्हें सदीयों से ज़माने का यहीं रिवाज हैं.. -Moeen
3.
जान हो जब सपनों में तो दौंड बड़ी लम्बी होती है जब आजाद हो सोच की धुन आसमां की सैर भी अपनी लगती है -Vrushali
4.
दौड़ के अभी थकना नहीं हैं तुझे मंज़िल हैं दूर, रुकना नहीं हैं तुझे.. ज़माना दिखाएगा सदा रंगीनीयाँ मगर रास्ते से अपने भटकना नहीं हैं तुझे.. -Moeen
5.
होंठों पर सदा चिंगारी रखते हैं हम मुकाबले की तरकीबें सारी रखते हैं.. मंज़िलें बुलाती हैं दौड़ने वालों को मगर फातेह मुसलसल अपना सफर जारी रखते हैं.. *फातेह – विजेता
6.
घबरा ना जाना इस दौड़ भाग से मंज़िल ना निकल जाए कहीं हाथ से.. जो ना दौड़े रफ्तार से वक्त की वो रहे महरूम… मंज़िल की मुलाकात से.. *महरूम – वंचित
7.
दौड़ से तय होती है दिल में बसी नई उमंगे और तारों को क्या छूना फिर तो पूरी होगी सब मांगे -Vrushali [shayarisukun.com]
8.
नाकामी के अँधेरे छट जाएँगे सब उम्मीद का चिराग जो कोई जल गया.. दौड़ों, के सुरज नहीं ढला अब कयामत की चाल ये ज़माना चल गया.. -Moeen
9.
देखता हूं अपनों को अपने लक्ष्य को पाने के लिए दौड़ते हुए.. सुकून मिलता है बैठकर उनके हात में ट्रॉफी देखते हुए… -Sagar
10.
दौड़ लगाओ ऐसी की मंज़िल मुट्ठी में आ जाए.. तय कर लो ऐसा लक्ष्य जिसकी उड़ान सफलता का रंग ले आए… -Sagar
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दौड़ रही है हमारी जिंदगी कुछ मकाम हासिल करने.. ऐसे ही आपकी इनायत रहे, ताकि ख़ुदको हम काबिल कर लें..