Shayari Sukun Presents
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मनाने की आदत मुझसे हमेशा रुख़्सत करती गई.. अल्फाजों की क़ीमत नहीं रही अब जज़्बात हमेशा दफन होती गई.. Sagar
हमने उसे इज़ाज़त दी उसकी आदत बदल गयीं हमने उसे आज़ादी दी उनकी फ़ितरत बदल गई.. ये सोचा नही था हमने, ऐसा हो जाएगा ज़नाब, देखते देखते चाहत हमारी बेवफा बन गई.. Ashok
हमने उसे इज़ाज़त दी उसकी आदत बदल गयीं हमने उसे आज़ादी दी उनकी फ़ितरत बदल गई.. ये सोचा नही था हमने, ऐसा हो जाएगा ज़नाब, देखते देखते चाहत हमारी बेवफा बन गई.. Ashok
यकीन हमें तुम पर भी है और एतबार पूरा मौत का है.. इंतजार है आजकल हमें दोनों का देखना है की कौन पहले है आता.. -Rina
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