Ghazal Shayari: Best Hindi Ghazal Shayari is written by Shaikh Moeen. Share your feelings with this awesome love ghazal written by Shayari Sukun’s Shayar. If you are in search of Ghazal Shayari? This article is the best collection for your need.
Best Ghazal Shayari contains Hindi poetry for your heart. Read and enjoy Ghazals on Boys, Love, Breakups, Relationships and more. We have published this article just to lift your spirits in the bad times. Most of the ghazals are in the Hindi language. Try out and be entertained.
What is Ghazal (غزل) in Hindi?
It is a well-known poetic form of Arabic writings that later became very famous in Persian, Urdu, Nepali and Hindi literature as well. In the field of music, a distinct style was constructed for singing this genre by mixing Iranian and Indian music.
Table of Content
- Best Ghazal Shayari
- Heart Touching Ghazal Shayari in Hindi Font
- Sad Ghazal Shayari in Hindi
- Ghazal Shayari in Urdu-Hindi
- Shayari Ghazal in Hindi
- Summary
Best Ghazal Shayari | बेहतरीन ग़ज़ल शायरी
These are the best Ghazal Shayari for the sad mood, you can share them on a Facebook post or a WhatsApp Status. By doing so you can express and share your broken heart feeling with your loved partner.
1) अब भी वही खड़ा हुँ मैं.. संभाल मुझ को बड़ी मुश्किल से खड़ा हुँ मैं न कर नज़र अंदाज़ मुझे तेरी ही सदा हुँ मैं बुझा न दे बेदर्दी से मुझे सुबह होते ही तेरी ही खातिर तो रात भर जला हुँ मैं या रब तेरे सिवा नज़र आता नहीं सहारा चारो तरफ से यू तुफानो में घिरा हुँ मैं शामिल हुँ अपनों की महफ़िल में भी अजनबी की तरह यू हर एक से जुड़ कर भी सब से कटा हुँ मैं पूछ कर मेरा पता वक्त बरबाद न करो तुझे नहीं पता खुद ही लापता हुँ मैं कॉलेज की वो सड़क भी अब सुनी हो गई आ जाओ मिलने अब भी वही खड़ा हुँ मैं आंधिया लाख रोकती रही मुसाफिर को मगर वहा से भी दिप मोहब्बत के जला कर चला हुँ मैं
This “ab bhi mai wahi khada hun..” ghazal indicates the feeling of being alone after someone special lefts you. after reading this you can relate it to your condition if you have a breakup for some reason.
2) इस कदर वो रुलाएगे.. मिलेगी खबर उन्हें तो वो आएगे मरने के बाद सही मगर वो आएगे ईद तो हम मनाएगे ज़रूर मगर कही जब हमें नज़र वो आएगे हम ने अपनी खुशिया लुटा दी उसके गमो पर आज गमगीन हूँ मै खुशिया मगर वो मनाएगे मै हँसाता रहा उन्हें सदा महफ़िलो में क्या थी खबर हमें इस कदर वो रुलाएगे आज भी रुका हूँ मै उसी सुनी सड़क पर इसी उम्मीद पर के लौट कर वो आएगे इसी लिए वक्ते रुख्सत मै ने उसे पुकारा नहीं आज नहीं तो कल सही मगर पलट कर वो आएगे सड़क भी पूछती है मुसाफिर से क्यों घर जाते नहीं होगा उन्हें एहसास तो वो फिर लौट कर आएगे
Voice-Over: Sonam Sonar
3) अपने यार के साथ.. मुझ को याद है हर लम्हा जो गुज़ारा था यार के साथ मगर वो कर रहा था खिलवाड़ मेरे प्यार के साथ खून के आंसू रोओगे तुम भी तन्हाई में न लगाओ तस्वीर मेरी अपनी दीवार के साथ भीनी-भीनी खुशबु बिखर गई फिज़ाओ में फिर तेरी याद आई है आज बहार के साथ वो खोल रहा है हर राज़ सर-ए-आम महफ़िल में जिसे बताया था हर राज़ अपना ऐतबार के साथ मुसाफिर बरसो भटकता रहा तेरे दीदार को आज नज़र भी आए तो अपने यार के साथ
4) कभी मुस्कुरा न सके.. हम दाग अपनी बेवफाई का मिटा न सके लाख की कोशिशे मगर उनको भुला न सके उनसे तो कोई गिला शिकवा नहीं मुझे हम ही अपना किया वादा निभा न सके अपनी भी खूब सजती थी महफिले हंसी की उनसे बिछड कर फिर कभी मुस्कुरा न सके जिन पर मैंने अपनी ज़िन्दगी कुर्बान कर दी मेरे लिए वो कभी दो अश्क भी बहा न सके मिले भी राह में वो मुसाफिर तो यू मिले नजरो से की बात दिल की लब हिला न सके
Writing Ghazal Shayari in Hindi requires knowledge of the Urdu language. Shayari Sukun’s young writer Mr Moeen has the talent to pen down the sorrow of heart.
5) किया वादा निभाना है .. मुझे अपने हाथो अपना मुकद्दर बनाना है मै क्या हूँ ये सारे ज़माने को बताना है बहुत फैला चुके नफरत बंद करो अब ज़ुबाँ अपनी इस दुनिया को अब गीत मोहब्बत का सुनाना है ये कलम मेरी यू ही नहीं चलती लोगो ये जानती है किसी से किया वादा निभाना है तुम बीज बो चुके इस चमन में अपनी दहशत के मुझे भी शांती के फूल यही पर खिलाना है ज़माने के सितम से मै हिम्मत नहीं हारने वाला नाकामी के पथ पर मुझे कामयाबी के दिप जलाना है तुम यू ही तनहा छोड़ गए मुसाफिर को घर अपने मुझे यहाँ से अपना रास्ता अब खुद बनाना है
6) जुल्फों के साये में सुलाते नहीं.. रूठा हूँ क्यों पास बुला कर प्यार से मनाते नहीं भटक रहा हूँ दर बदर क्यों यार से मिलाते नहीं روٹھاہوں کیوں پاس بلا کر پیار سے مناتے نہیں بھٹک رہا ہوں در بدر کیوں یار سے ملاتے نہیں अरसा हुआ तुमको नफरत की आग उगलते हुए क्यों गीत दुनिया को मोहब्बत का सुनाते नहीं عرصہ ہوا تم کو نفرت کی آگ اگلتے ہوئے کیوں گیت دنیا کو محبّت کا سناتے نہیں गरीबो का मसीहा कहता है सारा ज़माना तुमको क्यों फिर उनको पास अपने बुलाते नहीं مسکینوں کا مسیحا کہتاہے سارا زمانہ تم کو کیوں پھر ان کو پاس اپنے بلاتے نہیں बच्चो पर ना लादो किताबो का बोझ अभी से इन मासूमो को खिलौना दे कर क्यों बहलाते नहीं بچوں پرنہ لادو کتابوں کا بوجھ ابھی سے ان معصوموں کو کھلونا دے کر کیوں بہلاتے نہیں अरसा हुआ पलकों से पलके ना आशना है हमारी क्यों बुला कर अपनी जुल्फों के साये में सुलाते नहीं عرصہ ہوا پلکوں سے پلکیں نا آشنا ہے ہماری کیوں بلا کر اپنی زلفوں کے سایے میں سلاتے نہیں मुझे कब तक यू पसो पेश में रखोगे तुम मेरे नहीं हो तो क्यों मुझे बताते नहीं مجھے کب تک یوں پس و پیش میں رکھوگے تم میرے نہیں ہو تو کیوں مجھے بتاتے نہیں मुसाफिर क्यों अब भी तकते हो रास्ता उसका जाने वाले फिर कभी लौट कर आते नहीं مسافر کیوں تکتے ہو اب بھی رستہ اس کا جانے والے پھر کبھی لوٹ کر آتے نہیں
Voice-Over: Madhukar Magar
Heart Touching Ghazal Shayari in Hindi Urdu Font
These Ghazal Shayari will let you think about your love life once again. The best quality about these Ghazals is they are unique and informative.
7) घर अपने बरसो बाद आया है.. यू चुपके से तन्हाई में तेरा सितम याद आया है बरसो बाद सही मगर मेरा सनम याद आया है یوں چپکے سے تنہائی میں تیرا ستم یاد آیا ہے برسوں بعد سہی مگر میرا صنم یاد آیا ہے वो सारे शहर को दे रहा था अमन का पैगाम जो गरीबो के घर लगा कर आग आया है وہ سارے شہر کو دے رہا تھا امن کا پیام جو غریبوں کے گھر لگا کر آگ آیا ہے ऐ चाँद रोक दे अपनी रफ़्तार कुछ पल के लिए आज वो घर अपने बरसो बाद आया है اے چاند روک دے اپنی رفتار کچھ پل کے لئے آج وہ گھر اپنے برسوں بعد آیا ہے हम ने सींचा था इस चमन को अपने लहू से मगर अपने ही हिस्से में गद्दारी का दाग आया है ہم نے سینچا تھا اس چمن کو اپنے لہو سے مگر اپنے ہی حصّے میں غدّاری کا داغ آیا ہے अपना समझ कर खुशिया लुटाते रहे हम हर एक पर उनके लिए है हम पराए ये समझ में आज आया है اپنا سمجھ کر خوشیاں لٹاتے رہے ہم ہر ایک پر ان کے لئے ہے ہم پراے یہ سمجھ میں آج آیا ہے मै पैगामे मोहब्बत देने वाला वो मुसाफिर हूँ जो नफरत की वादी करके बरबाद आया है میں پیغام محبّت دینے والا وہ مسافر ہوں جو نفرت کی وادی کر کے برباد آیا ہے
8) तुम्हे क्या पता कैसे हर गम छुपा लेता हूँ मै.. अपने गमो का कब किसी को पता देता हूँ मै चोट लगती है तो खुल कर मुस्कुरा देता हूँ मै तुम तो भूल गए होगे कोई मिला था राहो में अब भी तन्हाई में तुम ही को सदा देता हूँ मै बरबाद करने वालो से नहीं कोई शिकवा मुझे अपने कातिल को भी जीने की दुआ देता हूँ मै ज़माना समझता है कोई गम नहीं मुझ को तुम्हे क्या पता कैसे हर गम छुपा लेता हूँ मै उसकी मुसीबत में भी कर देता हूँ मदद यू अपने दुश्मन को सज़ा देता हूँ मै इन नफरत के पुजारियों से मै नहीं डरने वाला आंधियो में नफरत की दिप मोहब्बत के जला देता हूँ मै देख कर मुसाफिर को करते है लोग चर्चे तेरे यू खुद की हस्ती को मिटा देता हूँ मै
मोहब्बत का दर्द ज़माने से छिपाकर, दिल के जज्बातों को बखूबी से दीप्ति जी इन्होंने, अपनी सुंदर आवाज़ से, इस उर्दू ग़ज़ल के जरिये बयां किया है!
Voice-Over: Deepti
Ghazal Writer: Prof Moeen Sir
9) तेरे सिवा किसी को पुकारा नहीं.. क्यों रो कर शिकायत करते हो कोई हमारा नहीं माँ के साये से बढ़ कर जग में कोई सहारा नहीं घर जला कर गरीब का बांधते हो ऊँची हवेली ये हवेली तुमको मुबारक हमें ऐसी छत गवारा नहीं आज मेरे लरज़ते होंठों की लाज रख ले ऐ खुदा मुश्किल में कभी तेरे सिवा किसी को पुकारा नहीं वो क्या जाने शिद्दत क्या है गरीबी की जिसने गरीबो में कभी वक्त गुज़ारा ही नहीं इस चमन में है शामील खून मेरे बुजुर्गो का और तुम कहते हो इस पर हक़ तुम्हारा नहीं मुसाफिर शाम हुई तुम क्यों घर अपने जाते नहीं तुम ने ही तो वक्ते रुख्सत उस को पुकारा नहीं
If you share this Ghazal Shayari image with your lover who left you then he/she might feel the guilt about leaving you.
10) अपना सदा इन्तिज़ार करना.. फूल चाहते हो तो काँटों से भी प्यार करना ज़ख्म सह लेना मगर खुद न वार करना रहबर बना लो मुझ को ताकि आगे चल सकू आसान होगा फिर तुम्हें पीछे से वार करना वो मुझ से मिलने फिर कभी आ ना सके मुकद्दर है अपना सदा इन्तिज़ार करना अब भी लरज़ते है लब मेरे तेरे नाम से बड़ा मुश्किल है मोहब्बत का इज़हार करना मै मुसाफिर हूँ न ज़िद करो मुझे रोकने की चलना मेरी फितरत है,पसंद नही इंकार करना
Voice-Over: Neeta Sharma
Best Ghazal Shayari in Hindi
11) मोहब्बत के बाकी सिर्फ फसाने रह गए.. तुम ने मंजिले तो पा ली मगर फासले रह गए अंधेरा छा गया तन्हा उजाले रह गए ये देश तो मशहूर था मोहब्बत के लिए जग में लगता है यहाँ अब सिर्फ नफरत फैलाने वाले रह गए देश के गद्दारों को दिया गया आज सम्मान मगर हक़ से अपने महरूम वतन के जयाले रह गए सच्ची मोहब्बत किताबो में पढ़ा था कभी अब मोहब्बत के बाकी सिर्फ फसाने रह गए तुम तो कहते हो दुनिया सिमट कर रह गई मुसाफिर तुझे शायद पता नहीं अपने बन कर अनजाने रह गए
Voice-Over: Amarjit Singh Birdi
12) तुझे जीने की दुआ देते है.. वो हर बात को पेचिदा बना देते है हम ही समझने में बड़ी देर लगा देते है जो भी कहता है हम दोस्त है तुम्हारे उसके हाथो में हम आईना थमा देते है कभी किताबो में पढ़ा था लैला-मजनू को हम ने कहा है वो अब जो इश्क में खुद को मिटा देते है तुफानो में घिरा हूँ कश्ती पार लगा दे मौला मुश्किल वक्त में हम तुझ ही को सदा देते है खुश हो तुम खून कर के मेरी हसरतो का हम है के तुझे जीने की दुआ देते है मुसाफिर हूँ मै दुश्मनी न करो मुझ से हम सजा नहीं देते मगर नजरो से गिरा देते है
Voice-Over: Archana Kulkarni
Sad Ghazal Shayari in Hindi
13) मै सजदो में तेरे लिए रोया करता हूँ.. तुझे पाने के लिए ही सजदे किया करता हूँ फिर सोचता रहता हूँ मै ये क्या करता हूँ मुझे सदा खामोश नज़र आता है तू मगर मै तो तेरी ही आवाज़ सुना करता हूँ तेरे शहर के लोगो से कोई सरोकार नहीं मुझे तेरी ही खातिर मगर मै सब से मिला करता हूँ तू ने फिर कभी आ कर देखी न हालत मेरी आज भी मै सजदो में तेरे लिए रोया करता हूँ उडा कर मजाक मेरा चौका दिया उस ने मुझे क्या कमी है मुझ में यही अक्सर सोचा करता हूँ मुसाफिर से क्या थी शिकायत कभी बताया तो होता ज़माना भी है शाकी मुझसे मगर मै फ़िक्र कहा करता हूँ
Feel the pain of heart in love with these amazing Ghazal Shayaries.
14) तेरा शहर छोड़ कर हम न जाएगे.. हर दौर में ये किस्से दोहराए जाएगे कातिल तो नही मगर बेगुनाह सजा पाएगे तेरे शहर ने मुझे छत से नवाज़ा है ये तेरा शहर छोड़ कर हम न जाएगे लाख दी तुझे सदाए मगर देखा न मुड कर तूने किया है खुद से वादा अब तुझे फिर न बुलाएगे जा रहा हूँ रूठ कर ये सलाम आखरी है वक्त हूँ मै तेरा अब लौट कर ना आएगे इस नफरत की सल्तनत में मुसाफिर अब न ठहरेगा हूकूमत में मोहब्बत की घर हम अपना बसाएगे
Ab zindagi se apna ilaaqa n raha…wow what a beautiful Ghazal Shayari is this..!
15) अब ज़िन्दगी से अपना इलाका न रहा.. कहती है प्यासी ज़मी अब वो दरया न रहा कल तक था जो सर पे वो साया न रहा कहने को तो अपने बेशुमार है इस शहर में हम को अपना कहता था जो वो अपना न रहा जिस सिम्त देखिये अँधेरे है नफरतो के डूब गया सूरज मोहब्बत का उजाला न रहा तुम थे तो न था खौफ तुफानो का मुझे था जो अपना अब वो किनारा न रहा तुम क्या गए बुझ गए उम्मीदों के चिराग अब ज़िन्दगी से अपना इलाका न रहा घने अंधेरे परेशां करते है मुसाफिर को जो बताता था राह अब वो सितारा न रहा
16) जिस की जुदाई का मुझे सदा डर रहा.. अब न सदाओ में मेरी वो असर रहा अरसा हूआ वो हालत से मेरी बेखबर रहा आसान राहो से गुज़रना गवारा नहीं मुझे हमेशा काटो भरा मेरा हर एक सफ़र रहा तबाही से बचना मुश्किल होगा यारो यही हाल वतने अज़ीज़ का अगर रहा आज मंजिल पे आ कर वो भी बिछड गया जिस की जुदाई का मुझे सदा डर रहा हम ने देखा तो हर दिल नरम व् नाज़ुक था जब परखा करीब से तो सिर्फ पत्थर रहा जा रहा है इस बस्ती से कोई मुसाफिर वही जिस से तुमको शिकवा अक्सर रहा
17) मेरी माँ ने मुझ को आज राज़ ये बताया है.. ये सिला इश्क का आज हम ने पाया है जिसको हंसाया था सदा उस ने ही रुलाया है कोई किसी का नहीं होता इस जहा में ये सबक हम को वक्त ने सिखाया है जिस की वजह से छोडना पड़ा शहर हम को उसी को इस दिल में हम ने बसाया है आंसू भी छुपा लेना किसी की हंसी की खातिर मेरी माँ ने मुझ को आज राज़ ये बताया है वो खोल रहा है सरे आम हर राज़ मोहब्बत का हम ने इस दिल में मोहब्बत का हर गम छुपाया है वो मौज़ू बदल देता है अपनी बात का अक्सर जब पूछता हूँ इस कदर क्यों मुझको सताया है मै तो मुसाफिर हूँ चला जाऊंगा कही भी सवेरे अपनी फ़िक्र वो करे जिस ने घर बसाया है
18) कुछ शेर लिखे है तुम को सुनाने के लिए.. ये कोशिशे है तुम्हारे पास आने के लिए ये रतजगे है मंजिले हयात पाने के लिए तुम न आए मिलने मै बरसो करता रहा इन्तिज़ार कभी कोशिश तो की होती वादा निभाने के लिए धोका ही देना था तो नज़रे मिलाई क्यों थी यू छोड़ न तनहा मुझे राह में अफसाने के लिए शायर हूँ मै न शायरी आती है मुझे मगर कुछ शेर लिखे है तुम को सुनाने के लिए वो रोज़ देता है मुसाफिर को परिंदों की मिसाल साफ़ क्यों कहता नहीं शहर छोड़ जाने के लिए
Ghazal Shayari in Urdu-Hindi
19) जिद छोड़ दो हम को यू रुलाया न जाएगा तुम से भी हाल अपना यू सुनाया न जाएगा माँ मुझे थमा दे वही पुराना किताबो का बस्ता ज़िन्दगी का ये बोझ मुझ से उठाया न जाएगा क्यों किया था वादा हम से मुलाकात का तुम जानते थे ये वादा निभाया न जाएगा हाथ आज भी रंगे है उस के मेरी हसरतो के खून से ये वो खून है जो मेहंदी से छुपाया न जाएगा ज़माना तडपाता रहा उम्र भर हर ख़ुशी के लिए किसी को यू हम से सताया न जाएगा ये चार यारो के कंधे आखरी सवारी है मुसाफिर की हम जा रहे है वहा फिर वापस आया न जाएगा
20) मांग कर हम से सम्मान लिया नहीं जाता पैसो की खातिर वतन का सौदा किया नहीं जाता साथ तेरे गम का ना मिला होता अगर तो फिर एक पल भी हम से जिया नहीं जाता वो कातिल है मेरी हसरतो का मगर मुझ से ज़ख्म उस को दिया नहीं जाता गम उठाते रहे हम सदा उस की खातिर उस से अब ख़त भी मेरा लिया नहीं जाता कुछ ऐसी जल्दी है मुसाफिर को शहर छोड़ जाने की आवाज़ देती है वो मगर हम से रुका नहीं जाता
21) एक आग सी लगी थी दिल में तेरे आने से कई हसरते मचल कर रह गई तेरे जाने से मेरी हस्ती को मिटा कर तुझे कुछ ना होगा हासिल ज़माने को खबर है क्या फायदा राज़ छुपाने से मै जानता हूँ लाख मजबूरिया रही होगी मगर चली आती मिलने मुझ से किसी बहाने से मै खुद हूँ कातिल अपनी मोहब्बत का शिकवा कैसे करू फिर सारे ज़माने से भूल जा तू भी मुसाफिर को घर बसा ले अपना कुछ न होगा हासिल तुझे आंसू बहाने से
22) अपने जज्बात गज़ल में सजा लाया हूँ मै हाले दिल आज तुझे सुनाने आया हूँ मै गरीबी की शिद्दत से ये रोटी जली है मगर मुफलिसी में यही तोहफा उठा लाया हूँ मै मेरी देश भक्ति पर उंगलिया उठाने वालो इसी का मतलब तुम से पूछने आया हूँ मै जिस बस्ती में तुम ने आग लगाई थी नफरत की उसे महब्बत की बौछार से बुझा आया हूँ मै वो जिद करती रही साथ चलने की मुसाफिर से अफ़सोस उसे छोड़ कर तनहा चला आया हूँ मै
23) ज़िन्दगी तू ने जहा से मुझे ठुकराया है जीने का हूनर मुझे वही से आया है गम समझ कर जिसे छोड़ दिया था राहो में मुफलिसी में आज वही मेरे काम आया है जो उम्र भर मुझे अपना, मेरा अपना कहता रहा आज बुरे वक्त में बहूत दूर नज़र आया है चलते-चलते थक कर कदमो ने किया सवाल मुझ से दिल में बसने वाले ने घर अपना कितनी दूर बसाया है तुझे तनहा ही मंजिल पानी होगी मुसाफिर क्या अपनों ने कभी साथ तेरा निभाया है
24) रौशनी न मिले तो अंधेरो में घर बसाने होगे मकसद नहीं कोई तो सिर्फ जीने के बहाने होगे माली की महनत बेकार गई जो की थी चमन पर अब अपने ही हाथो ये गुलशन महकाने होगे सुना है दुःख मिटाने को मैखाने बने है भूका हूँ कहने गरीब को लगे ज़माने होगे आंसू ना बहा गम न कर मेरी जुदाई का ये आंसू तुझे हंसी में अपनी छुपाने होगे जा रहा है मुसाफिर छोड़ कर ये शहर तेरा आ जा मिलने, न जाने कल कहा अपने ठिकाने होगे
Shayari Ghazal in Hindi
25) बड़ी मुद्दत के बाद तेरा ख्वाब आया है तेरे दर्द ने मुझ को रात भर रुलाया है डर कर नहीं डट कर मुकाबला कर हालात का ये सबक आज हालात ने मुझे सिखाया है दामन में अपने समेट लेना गम मेरे अपना समझ कर ही बोझ तेरा बढाया है रोते बच्चो को वो खिलोने भी दे न सका इस तरह गरीबी ने उस का मजाक उडाया है बुरे वक्त मै क्यों फिर तुझे दुआए न दू अपने-पराए का फरक तू ने मुझे बताया है वो मरते-मरते भी उसे जीने की दुआए दे गई जिस औलाद ने उम्र भर अपनी माँ को सताया है तुम भी ठुकरा दो तो कोई गम नहीं मुसाफिर को कोई नहीं जग में जिस ने मुझे अपनाया है
Voice-Over: Faran Shakeel
26) मै इस शहर को छोड़ कर जाऊ कैसे जनाज़ा हसरतो का कंधो पर उठाऊ कैसे वो तेरा रस्ते से मुस्कुरा कर गुज़र जाना तेरी उस नजाकत को भला भुलाऊ कैसे जाने वाले फिर कभी लौट कर आते नहीं ये राज़ मै ज़माने को बताऊ कैसे आज एक साल और बित गया उस के बगैर मै फिर ईद मनाऊ तो मनाऊ कैसे कही इलज़ाम के पत्थर कही ज़ख्मो की बारिशे अब इन आंधियो से खुद को मै बचाऊ कैसे कसम दी है शहर न आने की उस ने मुसाफिर लौट कर फिर भला मै अपने घर जाऊ कैसे
27) जब उस ने दिल से मेरा तसव्वुर मिटाया होगा अश्क का तूफान आँखों में उमड़ आया होगा वो कितना मजबूर रहे होगे घर में अपने तन्हाई में जब उस ने मेरा चित्र जलाया होगा वो यू छोड़ता न लाकर मुझे मंझधार में उसे किसी ने ज़रूर पाठ धर्म का पढाया होगा आज वो समझा रहे थे फलसफा मोहब्बत का ज़माने को क्या उन्हें अपना सितम आज भी याद न आया होगा जब चला होगा कही ज़िक्र बेवफाई का फिर कैसे खुद को इस इलज़ाम से बचाया होगा वो भी खूब रोया होगा तन्हाई में मुसाफिर जब किसी ने सवाल बेवफाई का उठाया होगा
28) आज भी उस चिलमन से मुझे झांकता है कोई इरादा करू जो चलने का तो मुझे पुकारता है कोई घर से दूर रहू तो कहती है तन्हाई मुझ से सांज हूई कि तुझे घर बुलाता है कोई आँखे बहती रहती है रात भर यू ही बदस्तूर अचानक रात गए जब याद आता है कोई आँखों का ये सवाल रहा सदा मुझ से क्यों बात बे बात मुझे रुलाता है कोई वो मुहाजिरो को तसल्ली दे रहा था मुसाफिर उसे क्या खबर कि उस के शहर से जा रहा है कोई
29) मेरी तहरीरे ये दुनिया देखती रह जाएगी मै न रहूगा मगर मेरी रौशनी रह जाएगी मिले हो बरसो बाद तो यू खामोश न रहो तुम कुछ तो बोलो वरना बात कोई काम की रह जाएगी तू भी डुबो ले कलम मेरी हसरतो के खून में वरना मोहब्बत के अफसाने में फिर सुर्खी की कमी रह जाएगी मौका दिया है तो आज इन्हें बरस जाने दो बरसात अश्को की आँखों में थमी रह जाएगी गम न कर मुसाफिर के शहर से जाने का तेरे अफसाने को बाकी मेरी ज़िन्दगी रह जाएगी
30) अब खुद से भी मुद्दतों मुलाक़ात नहीं होती हों भी जाए तो देर तक कोई बात नहीं होती था उस का वादा के मिला करेंगे रोज़ चांदनी की छाँव में मगर शायद अब उन के शहर में कभी रात नहीं होती दी अहमियत उस को मैं ने खुद से बढ़ कर हमेशा उस के दीद के ख़ज़ाने से अब मेरे लिए खैरात नहीं होती वो चले आते है तसव्वुर में शाम के ढलते ही दीद तो होती है मगर अब मुलाक़ात नहीं होती जब से वो बिछड़े मुसाफिर सांज के मोड़ पर चाँद तो रोज़ आता है मगर अब वो रात नहीं होती
ग़ज़ल: माँ ज़माने की ठोकरें हम खाते रहे मगर चलते रहे माँ की खातीर हालात की तपीश में जलते रहे माँ की तालीम ने भटकने ना दिया कभी राह से सब थे बिगाड़ने को बेताब मगर हम संभलते रहे जो रखे क़दम घर से बाहर कमाने की खातीर अलफ़ाज़ दुआओं के माँ के लब पर मचलते रहे माँ ने गुज़ार दी उम्र अपनी सारी मेहनत करते देख कर कमाई मेरी अश्क आँखों से निकलते रहे हुआ जो नसीब उसे साया मुद्दतों की धूप के बाद लोग मेरी माँ को मुस्कुराता देख कर जलते रहे मेरी माँ ने कर दी क़ुरबान उन पर नींदें अपनी जो हालात के मुताबीक रंग अपना बदलते रहे
हालात के तूफ़ान जब मुझे कभी सताने लगे है लफ्ज़ दुआ के फिर माँ के लबों पर आने लगे है गरीबी में भी हमें पालती रही शहज़ादों की तरह अपना नया जोड़ा बनाने में माँ को ज़माने लगे है उठाए जो हाथ माँ ने दुआओं में मेरी खातीर सब ग़म मेरी किस्मत के फिर मुँह छुपाने लगे है किये जो चंद सिक्के खर्च मैं ने माँ पर अपनी दुःख सारे मेरी ज़िंदगी से फिर वापस जाने लगे है मुसीबत में जो करने लगा हुँ मदद माँ की मंज़र रहमतों के अब रुख अपना दिखाने लगे है करने लगा हुँ काम मैं अपनी माँ के जब से रहमत के फ़रिश्ते घर मेरे चक्कर बढ़ाने लगे है
अपने पास रहने दो Ghazal by Atveer Yadav
तुमने मुझे खुद से तो अलग कर दिया है मुझे, मुझमे जरा सा कही, और कुछ अपने पास रहने दो एक आयने की तरहा था दिल हमारा और अब जरूरत नहीं समेटने की इसे बिखरा रहने दो रुके है उस मोड़ पर, की वो लौट कर आएंगे हमे पता है की भ्रम है हमे इस भ्रम मे रहने दो हम उसे भूल कर भी भूल नहीं सकते ये खुदा तु सब मिटा दे, बस उसकी एक तस्बीर मेरे पास रहने दो और हम नहीं रह सकते उसके बिना ये जिस्म तुम ले जाओ मगर मेरी रूह को उसकी कब्र पर रहने दो
जन्नत सा लगता है Ghazal by Atveer Yadav
सर से पाव तक वो शख्स गुलाब का बागां लगता है वो मोहब्बत की पुरी कोई दास्तान सा लगता है गुजारने को तो हम पूरी ज़िंदगी अकेले गुजार सकते है पर वो शख्स मेरे ठहरने का ठिकाना सा लगता है एक घर है मेरा पुराना सा जिसमे उनकी कुछ यादें है उनकी यादों के साथ वो घर जन्नत सा लगता है एक रोज उनकी यादों से भी दूर हो गया वो शख्स अब् मेरा हो कर भी मेरा नहीं लगता है
रिश्तें नातें और मोहब्बत ग़ज़ल: अतवीर यादव
जिस्म कि चाह मे ना जाने कितने 'रिस्ते नाते' तोड़े गये इश्क़ मोहब्बत प्यार झूठे सरे बादे थे इस झूठ से ना जाने कितने घर उजाड़े गये और खुल कर घूम रहे है वो लोग जो जिस्मों से खेलते है हमने तो रूह से मोहब्बत की थी फिर भी ना जाने कितने गम हमारे हिस्से जोड़ दिये गये कब तक मोहब्बत का गम लेकर बैठे रहेंगे हम घर का बड़ा बेटा हूँ कुछ जिम्मेदारियाँ है मेरी अब उनको निभाना है
Summary
At last, we can say and expect that you liked all these Heart Touching Ghazal Shayari in Hindi written by Sheik Moeen. Please Share these ghazals above with your friends and loved ones who are going through a tough time. Ghazals to share with someone when their heart is broken. Thank you!
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बहुत ज्यादा ख़ास पोस्ट…..amzing बढ़िया collection.
वाह वा मोइन जी
लाज़वाब ग़झलों का नज़राना,
बहोत ही उम्दा
Keep it up 😊👌👌
So beautiful maam
Bohot hi badiya hamesha ki tarah maam 😇😇👌
वाह वा, बहोत खूबसूरत गजलें
और उतनी ही खूबसूरती से की हुई रिकॉर्डिंग 👌👌
Wow…. Superb..
Bahut khusi hui is gazl ko padhkar
jis galib ne likha ho us galib ko salam karta hu ..
Shukriya Raju Verma ji aapka!
aise hi Ghazal Shayari ko padhne ke liye shayarisukun.com website ko visit karte rahiye
Well done Bhai
So beautiful line