Musafir Shayari -1: मुसाफिर की तरह अपनी राह खोजना चाहोगे!

musafir shayari : वैसे तो musafir भटकते हुए खुद ही अपनी जिंदगी की तलाश करते रहते हैं. लेकिन कभी-कभी वही musafir जब अपनी राह भटक जाता है, तो उसे किसी राहगीर की ही तलाश होती है. उसे ऐसे किसी मसीहा की सख्त जरूरत होती है जो उसकी जिंदगी में मार्गदर्शन कर सकें.

ग़म तेरी बेवफ़ाई में,
कुछ इस क़दर मिल गया..

चलत मुसाफ़िर था मैं,
जिंदगी का रास्ता भूल गया..

-Santosh

gam teri bewafai me,
kuch iss kadar mil gya
chalat musafir tha mai
jindgi ka rasta bhul gya

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इन Musafir शायरियों को Rishabh Punekar इनकी आवाज़ में सुनकर अपने दिल के साथ मुसाफिर बनकर फिरोगे!

यह बात तो शायद कोई सच्चे दिल वाला musafir की जान सकता है कि जिसने साहिल को छोड़कर भरे समंदर में अपनी नाव चलाई थी. लेकिन जब उसकी नांव, उसकी कश्ती को पानी में गोते लगाते हुए मझधार बहा लेना चाहती है. उस वक्त उसे कोई अगर संभालने वाला मिल जाए तभी उसकी नैया पार लग सकती है.

महसूस करता था मैं महफूज़
उसकी आंखों में इस कदर..

अब तो मुसाफ़िर की तरह
भटक गया जिंदगी का सफ़र..

-Santosh

mahsus karta tha mai mahfuz
uski aankhon me iss kadar
ab to musafir ki tarah
bhatak gya jindgi ka safar

वरना तो ऐसे भी कई musafir हो चुके हैं जिन्होंने समंदर में बिना किसी जानकारी के अपनी कश्तियों को खुद ही खो दिया है. और अब शायद आपके दिल को भी कुछ यही बात बता रही है कि आपकी नाव भी उसी राह पर चल रही है.

कई मुसाफिरों को अपना रास्ता भटकते हुए समंदर में अपनी कश्ती खो देते हुए देखा है मैंने..

आपको इस बात का तो जरूर पता है कि कोई भी मुसाफिर अपने ही बलबूते पर अपनी जिंदगी की राह को काटता हुआ चलता है. यूं तो वह किसी भी दूसरे इंसान या फिर साथी की मदद पर निर्भर नहीं रहता. और उसे अपनी ही कश्ती को खुद ही समंदर में चलाना होता है.

क्योंकि उसे इस बात का जरूर पता होता है कि जब भी वह खुद अपनी राह पर चला जाएगा तभी उसे सफलता मिलने की संभावनाएं ज्यादा होती है. लेकिन कभी-कभी आपको ऐसे भी कई मुसाफिर मिल जाते हैं जो अपने ही कश्ती को खुद को देते हैं. और समंदर में अकेले ही गोते खाते हुए अपने नसीब को कोसते रहते हैं.

रह गए हम दूर मंज़िल से
आज तलक प्यार की..

मगर ऐ दोस्त, मुसाफ़िरी सीख गए
हम बखूब जिंदगी की..

-Santosh

rah gye hum dur manzil se
aaj talak pyar ki..
magar ye dost, musafiri sikh gye
hum bakhub jindgi ki..

लेकिन कभी-कभी किसी को उसी समुंदर का साहिल यानी की किनारा नसीब होता है. तो वह खुद को बड़े मुकद्दर वाला समझता है. उसे इस बात की भी जरूर जानकारी देती है कि उसे अभी जो मकाम मिला है, वह भी अक्सर किसी के नसीब नहीं होता है.

मुसाफिर की कश्ती डुबोकर समंदर भी अपने साथ ले जाता है उसे…

कभी-कभी किसी मुसाफिर के साथ बड़ी अनहोनी सी हो जाती है. वह जब भी अपनी कश्ती को लेकर समंदर की किसी नई मझदार पर चलाने की कोशिश करता है तो उसे कई मुसीबतें आती है. कई बार उसे समंदर के बड़े-बड़े तूफानों का सामना करना पड़ता है.

लेकिन फिर भी जब वह इन बड़े तूफानों में खुद को फंसा हुआ पाता है तो वह खुद पर नियंत्रण पाने की पूरी कोशिश करता है. कभी-कभी कोई मुसाफिर किसी बड़े तूफानों में भी खुद को बचाकर साहिल पर पहुंच जाता है.

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लेकिन कभी-कभी किसी मुसाफिर की कश्ती वह समुंदर अपने साथ बहा ले जाता है. तब उसे बस यही सवाल सताता रहता है कि आखिर उसका आगे का सफर अब कैसे कटेगा.

मुसाफिर कभी हमारे दिल की गली में भी आना और मुझे अपना बनाना…

जब कोई मुसाफिर अपनी राह से भटक जाए तो वह अपना साहिल ढूंढने की कोशिश करता रहता है. कुछ ऐसा ही अनुभव आपको अब अपने दिलबर के साथ आ रहा है. आप भी उस राह भटके हुए तो अपनी दिल की नजर में आने के लिए कह रही हो. ताकि कभी उसे भी आपके प्रेम नगर का पता चल जाए.

न जाने क्या गुनाह था मेरा
अधूरे सफ़र में ताउम्र अटक गया..

मैं था नादां मुसाफ़िर,
तुझमे खामखाँ भटक गया..

-Santosh

n jaane kya gunah tha mera
adhure safar me taumra atak gya
mai tha naadan musaafir
tujhme khaamkha bhatak gya

वह भी आप से प्यार करने की गलती कर बैठे. क्योंकि आप भी उनकी राह निहारते हुए उन्हें यही बताना चाहती हो कि आप उनका इंतजार कर रही है. उनके इंतजार में न जाने आपकी कितनी अश्क बहे हैं. आप उन्हें अपने महबूब को दिखाते हुए अपने दिल के अरमान उनके साथ बांटना चाहती हो.

और इसी वजह से आप उनकी दर्द को रहते हुए बस उन्हीं की यादें अपने दिल में संजोए बैठी रही हो. और आप तब तक उनकी राह यूं ही निहारती रहोगी जब तक वह आपके दिल तक खुद ना पहुंचे.

musafir shayari in urdu english

कगार पर खड़ा मुसाफिर
अकेला नजर आ रहा..

शायद उसकी कश्ती ने
अपना साहिल खो दिया..

kagaar par khada musafir 
akela najar a raha..
shayad uski kashti ne 
apna sahil kho diya…

2 line sad shayari in english urdu

मुसाफ़िर को बहा ले गया सागर,
पूछता है, अब कैसे कटेगा सफ़र…

musaafir ko bahaan le gaya sagar,
poochta hai, ab kaise katega safar…

musaafir sad shayari | top and best shayari in hindi urdu

ए भटके हुए मुसाफिर,
कभी इस गली आकर तो देख..

बैठी हूं बरसों से तेरे इंतजार में,
बही अश्कों की धारा तो देख..

ae bhatke hue musaafir,
kabhi is gali aakar to dekh..
baithi hoon barso se tere intezar mein,
bahi ashkon ki dhara to dekh…

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4 thoughts on “Musafir Shayari -1: मुसाफिर की तरह अपनी राह खोजना चाहोगे!”

  1. वाह रिषभ जी,
    आपकी आवाज़ में इन सैड मुसाफ़िर शायरियों का सफर बहोत बढ़िया लगा..

  2. व्वाह रिषभजी, बहोत की खूब पेशकष और लहेजा

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