Musafir Shayari: वैसे तो musafir भटकते हुए खुद ही अपनी जिंदगी की तलाश करते रहते हैं. लेकिन कभी-कभी वही musafir जब अपनी राह भटक जाता है, तो उसे किसी राहगीर की ही तलाश होती है. उसे ऐसे किसी मसीहा की सख्त जरूरत होती है जो उसकी जिंदगी में मार्गदर्शन कर सकें.
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ग़म तेरी बेवफ़ाई में,
-Santosh
कुछ इस क़दर मिल गया..
चलत मुसाफ़िर था मैं,
जिंदगी का रास्ता भूल गया..
gam teri bewafai me,
kuch iss kadar mil gya
chalat musafir tha mai
jindgi ka rasta bhul gya
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इन Musafir Shayari को Rishabh Punekar इनकी आवाज़ में सुनकर अपने दिल के साथ मुसाफिर बनकर फिरोगे!
यह बात तो शायद कोई सच्चे दिल वाला musafir की जान सकता है कि जिसने साहिल को छोड़कर भरे समंदर में अपनी नाव चलाई थी. लेकिन जब उसकी नांव, उसकी कश्ती को पानी में गोते लगाते हुए मझधार बहा लेना चाहती है. उस वक्त उसे कोई अगर संभालने वाला मिल जाए तभी उसकी नैया पार लग सकती है.
Musafir Shayari | मुसाफिर शायरी
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1) मुसाफिर बनके मुझे तेरे दिल में घूमना है.. बहाल करके खुशियां सारी तुझे हमेशा खुश देखना है.. -Sagar
musafir banke mujhe
tere dil mein ghumna hai..
bahal karke khushiyan sari
tujhe hamesha khush dekhna hai..
2) मंजिल की ओर आगे बढ़ना.. मुसाफिर तेरा काम है चलना.. -Anamika
manjil ki or aage badhana..
musafir tera kaam hai chalna..
3) मुसाफिर है हम इस दौड़ते हुए वक्त के.. जानते हैं हम तौर-तरीके यहां जीने के.. -Vrushali
musafir hai ham
is daudte hue waqt ke..
jante hain ham
taur-tarike yahan jeene ke..
4) दूर होकर भी तुझसे ही तो जुड़ा हूं.. मुसाफिर हूं, तेरे शहर से चल पड़ा हूं.. -Santosh
dur hokar bhi tujhse hi to juda hun..
musafr hun, tere shahar se chal pada hun..
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5) राह फिरते मुसाफिर को किसी मुकाम तक जाना होता है.. जब तक ना मिलें मंजिल उसे थकना नहीं होता है.. -Sagar
raah firte musafir ko
kisi mukam tak jana hota hai..
jab tak na mile manjil
use thakna nahin hota hai..
6) अपने दिल में बात कोई रखता नहीं.. यारों मुसाफिर हूं, इसलिए रुकता नहीं.. -Sapna
apne dil me baat koi rakhta nahi..
yaaron musafir hun, isliye rukta nahi..
7) आबाद यह जिंदगी है किसी अजनबी के आने से.. मुसाफिर है वो यादों का हर जश्न है उसके होने से.. -Vrushali
abad yah jindagi hai
kisi ajnabi ke aane se..
musafir hai vo yaadon ka
har jashn hai uske hone se..
8) इंसानियत से इंसान की मदद कर देना.. मुसाफिर को चंद पलों का आसरा देना.. -Santosh
insaniyat se insaan ki madad kar dena..
musafir ko chand palon ka aasra dena..
9) इस राह फिरते मुसाफिर का नहीं था कोई एक ठिकाना.. जब से मोहब्बत हुई तुझ से अब मुझे नहीं कहीं और जाना.. -Sagar
is raah firte musafir ka
nahin tha koi ek thikana..
jab se mohabbat hui tujhse
ab mujhe nahin kahin aur jana..
10) अपने दिल पर कोई बोझ नहीं रखता.. मुसाफिर किसी का बुरा नहीं करता.. -Sapna
apne dil per koi bojh nahin rakhta..
musafir kisi ka bura nahin karta..
महसूस करता था मैं महफूज़
-Santosh
उसकी आंखों में इस कदर..
अब तो मुसाफ़िर की तरह
भटक गया जिंदगी का सफ़र..
mahsus karta tha mai mahfuz
uski aankhon me iss kadar
ab to musafir ki tarah
bhatak gya jindgi ka safar
वरना तो ऐसे भी कई musafir हो चुके हैं जिन्होंने समंदर में बिना किसी जानकारी के अपनी कश्तियों को खुद ही खो दिया है. और अब शायद आपके दिल को भी कुछ यही बात बता रही है कि आपकी नाव भी उसी राह पर चल रही है.
कई मुसाफिरों को अपना रास्ता भटकते हुए समंदर में अपनी कश्ती खो देते हुए देखा है मैंने..
आपको इस बात का तो जरूर पता है कि कोई भी मुसाफिर अपने ही बलबूते पर अपनी जिंदगी की राह को काटता हुआ चलता है. यूं तो वह किसी भी दूसरे इंसान या फिर साथी की मदद पर निर्भर नहीं रहता. और उसे अपनी ही कश्ती को खुद ही समंदर में चलाना होता है.
Musafir Shayari Urdu
क्योंकि उसे इस बात का जरूर पता होता है कि जब भी वह खुद अपनी राह पर चला जाएगा तभी उसे सफलता मिलने की संभावनाएं ज्यादा होती है. लेकिन कभी-कभी आपको ऐसे भी कई मुसाफिर मिल जाते हैं जो अपने ही कश्ती को खुद को देते हैं. और समंदर में अकेले ही गोते खाते हुए अपने नसीब को कोसते रहते हैं.
11) जिंदगी के एक मोड़ पर मिला था वो मुसाफ़िर.. छांव देकर उम्र भर की वो चला गया आख़िर.. -Vrushali
jindagi ke ek mod per
mila tha vo musafir..
chhav dekar umra bhar ki
vo chala gaya aakhir..
12) अपनी धुन में हमेशा चलता, वो ना कोई राह मुड़ता.. चाहे कुछ भी हो, मुसाफिर लक्ष्य की ओर है बढ़ता.. -Anamika
apni dhun me hamesha chalta,
vo na koi raah mudta..
chahe kuch bhi ho, musafir
lakshya ki or hai badhta..
13) रूहानी मोहब्बत से मैं हमेशा वास्ता रखता हूं.. तेरा मुसाफिर ए इश्क बनके हमराही बनना चाहता हूं.. -Sagar
ruhani mohabbat se main
hamesha vasta rakhta hun..
tera musafir e ishq banke
hamrahi banna chahta hun..
14) बंदिशें कभी ना आरजू को सुलाती.. मुसाफिर को मंजिल खुद है बुलाती.. -Santosh
bandishe kabhi na aarju ko sulati..
musafir ko manjil khud hai bulati..
15) अधूरे सफ़र में रुक गया दौड़ते हुए फिर थक गया.. मुसाफ़िर गमों का था वो मेरा मेहबूब देख थम गया.. -Vrushali
adhure safar mein ruk gaya
daudte hue fir thak gaya..
musafir gamon ka tha vo
mera mehboob dekh tham gaya..
16) राही का साथ पाने के लिए दर-दर भटकता.. उम्र भर मंजिल के लिए मुसाफिर है तड़पता.. -Sapna
rahi ka sath pane ke
liye dar-dar bhatakta..
umra bhar manzil ke liye
musafir hai tadapta..
17) अधूरी मोहब्बत की चाहत में आशिक की रूह भटकती है.. तड़पती हुई अनजान राहों पर एक मुसाफिर बनके रहती है.. -Sagar
adhuri mohabbat ki chahat me
aashiq ki ruh bhatkati hai..
tadapti hui anjan rahon par
ek musafir banke rahti hai..
18) सटीकता और लक्ष्य के बिना दूसरा कोई ख्याल ना होता.. राही के मन में मंजिल के लिए कोई सवाल ना होता.. -Anamika
satikta aur lakshya ke bina
dusra koi khyal na hota..
rahi ke man mein manjil ke
liye koi sawal na hota..
19) हर चोटी पर वो अपना नाम लिखना चाहता हैं हर जगह पर अपने क़दम वो रखना चाहता हैं.. अनोखी ख्वाइश लेकर आया हैं वो मुसाफ़िर हर राह पर अपने अक्स वो छोड़ना चाहता हैं.. -Vrushali
har choti per vo apna naam likhana chahta hai
har jagah per apne kadam vo rakhna chahta hai..
anokhi khwahish lekar aaya hai vo musafir
har raah par apne aks vo chodna chahta hai..
20) मंजिल की तलाश में भटकता रहता है.. मुसाफिर तो उम्र भर मुसाफिर ही रहता है.. -Santosh
manjil ki talash mein
bhatkata rahata hai..
musafir to umra bhar
musafir hi rahata hai..
रह गए हम दूर मंज़िल से
-Santosh
आज तलक प्यार की..
मगर ऐ दोस्त, मुसाफ़िरी सीख गए
हम बखूब जिंदगी की..
rah gye hum dur manzil se
aaj talak pyar ki..
magar ye dost, musafiri sikh gye
hum bakhub jindgi ki..
लेकिन कभी-कभी किसी को उसी समुंदर का साहिल यानी की किनारा नसीब होता है. तो वह खुद को बड़े मुकद्दर वाला समझता है. उसे इस बात की भी जरूर जानकारी देती है कि उसे अभी जो मकाम मिला है, वह भी अक्सर किसी के नसीब नहीं होता है.
मुसाफिर की कश्ती डुबोकर समंदर भी अपने साथ ले जाता है उसे…
कभी-कभी किसी मुसाफिर के साथ बड़ी अनहोनी सी हो जाती है. वह जब भी अपनी कश्ती को लेकर समंदर की किसी नई मझदार पर चलाने की कोशिश करता है तो उसे कई मुसीबतें आती है. कई बार उसे समंदर के बड़े-बड़े तूफानों का सामना करना पड़ता है.
Musafir Shayari Status
लेकिन फिर भी जब वह इन बड़े तूफानों में खुद को फंसा हुआ पाता है तो वह खुद पर नियंत्रण पाने की पूरी कोशिश करता है. कभी-कभी कोई मुसाफिर किसी बड़े तूफानों में भी खुद को बचाकर साहिल पर पहुंच जाता है.
21) चाहे हो फूलों का रास्ता या हो कोई कांटो भरी डगर.. पता नहीं होता मुसाफिर को कितना लंबा है सफर.. -Sapna
chahe ho phoolon ka rasta ya
ho koi kanto bhari dagar..
pata nahin hota musafir ko
kitna lamba hai safar..
22) मन में नहीं छुपाता बात कोई चाह की.. परवाह नहीं होती मुसाफिर को राह की.. -Anamika
man me nahin chhupata
baat koi chaah ki..
parwah nahin hoti
musafir ko raah ki..
23) हाथों से रेत जरूर फिसल ही जाती है.. मुसाफिर की कश्ती संभल ही जाती है.. -Santosh
hathon se ret jarur
fisal hi jaati hai..
musafir ki kashti
sambhal hi jaati hain..
24) दिल पर लगे गहरे जख्मों के घांव अकेले ही भुलाता.. दुख के समंदर में मुसाफिर अकेला अपनी नाव चलाता.. -Sapna
dil par lage gahre zakhmo ke
ghaav akele hi bhulata..
dukh ke samander mein musafir
akela apni naav chalata..
25) चाहे कितने भी लंबे हो फासले.. टूटते नहीं मुसाफिर के हौसले.. -Anamika
chahe kitne bhi lambe ho faasle..
tutate nahin musafir ke hausale…
26) हो कितनी भी कठिन मगर सही राह चुनता.. राहगीर हमेशा बस अपने दिल की सुनता.. -Santosh
ho kitni bhi kathin
magar sahi raah chunta..
raahgir hamesha bas
apne dil ki sunta..
27) मंजिल के सिवा किसी और का नहीं होना चाहिए.. मुसाफिर को दिल अपना कभी नहीं खोना चाहिए.. -Sapna
manjil ke siva kisi
aur ka nahin hona chahiye..
musafir ko dil apna
kabhi nahin khona chahiye..
28) बनी बनाई दिल की बातों पर यकीन कौन करें.. चलते हुए मुसाफिर की चाहत पर भरोसा कौन करें.. -Anamika
bani banai dil ki
baton per yakin kaun karen..
chalte hue musafir ki
chahat per bharosa kaun karen..
29) इस दुनिया से वास्ता भी बदलना होता है.. मुसाफिर को रास्ता भी बदलना होता है.. -Santosh
is duniya se wasta bhi badalna hota hai..
musafir ko rasta bhi badalna hota hai..
30) चलते हुए सबको सलाम करूंगा.. जिंदगी, मैं तेरा मुसाफिर ही रहूंगा.. -Sapna
chalte hue sabko salam karunga..
jindagi, main tera musafir hi rahunga..
लेकिन कभी-कभी किसी मुसाफिर की कश्ती वह समुंदर अपने साथ बहा ले जाता है. तब उसे बस यही सवाल सताता रहता है कि आखिर उसका आगे का सफर अब कैसे कटेगा.
ऐ मुसाफिर कभी हमारे दिल की गली में भी आना और मुझे अपना बनाना…
जब कोई मुसाफिर अपनी राह से भटक जाए तो वह अपना साहिल ढूंढने की कोशिश करता रहता है. कुछ ऐसा ही अनुभव आपको अब अपने दिलबर के साथ आ रहा है. आप भी उस राह भटके हुए तो अपनी दिल की नजर में आने के लिए कह रही हो. ताकि कभी उसे भी आपके प्रेम नगर का पता चल जाए.
Musafir Shayari Image
31) दुनिया के लिए मन में ना कोई डर होता है.. भटकते मुसाफिर का कहां कोई घर होता है.. -Santosh
duniya ke liye man mein
na koi dar hota hai..
bhatkate musafir ka
kahan koi ghar hota hai..
32) पथरीली राहों पर भी वह खुद को संभालता.. लक्ष्य के बिना मुसाफिर कहीं नहीं उतरता.. -Sapna
pathrili raho per bhi vah khud ko sambhalta..
lakshya ke bina musafir kahin nahin utarta..
33) मंसूबे उनके हर वक्त जाहिर होते हैं.. मुसाफिर तो चलने में माहिर होते हैं.. -Anamika
mansube unke har waqt jahir hote hain..
musafir to chalne mein maahir hote hain..
34) मुकाम पर जाने के लिए भटकता राहगीर चाहिए.. मंजिल पाने के लिए मुसाफिर सरफिरा ही होना चाहिए.. -Santosh
mukaam par jane ke liye
bhatkata raahgir chahiye..
manzil pane ke liye musafir
sarfiraa hi hona chahiye..
35) दुनिया वालों, हर किसी की मदद करना.. भटके मुसाफिरों को सही राह दिखाना.. -Anamika
duniya walon, har kisi ki madad karna..
bhatke musafiron ko sahi raah dikhana..
36) चलते रहने से ही मिलता है मुकाम.. राहगीर को कभी नहीं होती थकान.. -Sapna
chalte rahane se hi milta hai mukam..
rahgir ko kabhi nahin hoti thakaan..
37) रास्ता हमेशा मुसाफिर की राह देखता है.. बस राही को उस पर चलना होता है.. -Santosh
rasta hamesha musafir ki raah dekhta hai..
bas rahi ko us per chalana hota hai..
न जाने क्या गुनाह था मेरा
-Santosh
अधूरे सफ़र में ताउम्र अटक गया..
मैं था नादां मुसाफ़िर,
तुझमे खामखाँ भटक गया..
n jaane kya gunah tha mera
adhure safar me taumra atak gya
mai tha naadan musaafir
tujhme khaamkha bhatak gya
वह भी आप से प्यार करने की गलती कर बैठे. क्योंकि आप भी उनकी राह निहारते हुए उन्हें यही बताना चाहती हो कि आप उनका इंतजार कर रही है. उनके इंतजार में न जाने आपकी कितनी अश्क बहे हैं. आप उन्हें अपने महबूब को दिखाते हुए अपने दिल के अरमान उनके साथ बांटना चाहती हो.
और इसी वजह से आप उनकी दर्द को रहते हुए बस उन्हीं की यादें अपने दिल में संजोए बैठी रही हो. और आप तब तक उनकी राह यूं ही निहारती रहोगी जब तक वह आपके दिल तक खुद ना पहुंचे.
मुसाफिर शायरी
कगार पर खड़ा मुसाफिर
अकेला नजर आ रहा..
शायद उसकी कश्ती ने
अपना साहिल खो दिया..
kagaar par khada musafir
akela najar a raha..
shayad uski kashti ne
apna sahil kho diya…
2 line sad shayari in english urdu
मुसाफ़िर को बहा ले गया सागर,
पूछता है, अब कैसे कटेगा सफ़र…
musaafir ko bahaan le gaya sagar,
poochta hai, ab kaise katega safar…
musaafir sad shayari | top and best shayari in hindi urdu
ए भटके हुए मुसाफिर,
कभी इस गली आकर तो देख..
बैठी हूं बरसों से तेरे इंतजार में,
बही अश्कों की धारा तो देख..
ae bhatke hue musaafir,
kabhi is gali aakar to dekh..
baithi hoon barso se tere intezar mein,
bahi ashkon ki dhara to dekh…
Summary
दोस्तों, अगर हमारी इन Musafir Shayari ने आपको भी प्यार की राह दिखाई हो, तो कमेंट सेक्शन में कमेंट करते हुए हमें बताइएगा!
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वाह रिषभ जी,
आपकी आवाज़ में इन सैड मुसाफ़िर शायरियों का सफर बहोत बढ़िया लगा..
Waah Rishabh ji very nice and great voice very clear
Awesome
#Beautiful
#sukun
व्वाह रिषभजी, बहोत की खूब पेशकष और लहेजा