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Waqt Shayari

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वक्त बेवक़्त जो सताता था मुझे यार अपना अब वो पराया हुआ उस का मुझे वो आदाब करना किस्सा अब ये बड़ा पुराना हुआ -Moeen

वक्त ने मोहलत ना दी वर्ना वो मेरे साथ चल भी सकता था हाथ छुड़ाने की जल्दी थी उसे उदासीयों का मौसम बदल भी सकता था -Moeen

जालिम वक्त ने, न जाने कितने जुल्म किए हम पर.. आप भी तो चले गए सागर में कश्ती अकेली छोड़कर… -Vrushali

अब तो हमारी कश्ती डूबती नजर आने लगी है.. एक वक्त के लम्हों का सहारा है बस वहीं साथ दे रहा है.. -Santosh

उन्हें वक्त नहीं मिलता हमारे लिए, जो कहते थे ताउम्र साथ निभाएंगे.. दीदार ही नहीं होता है अब तो उनका, जो कहते थे रोज़ मिलने आयेंगे.. -Sagar

खुदा से ये हिमाकत की थी दिल ने तेरी इबादत की थी वक्त मिला कभी तो फिर सोचेंगे क्यों दिल ने बगावत की थी -Moeen

सुना है अब वो आखें किसी और को देखती है.. गुजरे वक्त के साथ उनमें मेरे लिए जगह कुछ कम बची है.. -Malvika

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