Shayari Sukun Presents
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सिमट आया हैं हुस्न कायनात का तेरी सादगी में कुदरत लब कुशाई करती हैं तेरी इस खामोशी में.. जो मिल जाए पनाह तेरी ज़ुल्फों की छाँव में कौन काफि र करें फिर तलब जन्नत की, ज़िंदगी में.. -Moeen
हाथों में मेरे लिए हैं सोमनाथ का धागा बंधा हुआ वो रहे उदास तो लगता हैं चाँद का मुंह उतरा हुआ.. रातें कब गुज़र जाती हैं तेरे खयालों में किसे खबर जब से बेकरार दिल मासूम चेहरे पर फिदा हुआ.. -Moeen
हुई खुदा की ज़ात मुझ पर कितनी मेहरबाँ देखे तुम आए ज़िंदगी में अब हम क्या ये जहाँ देखे.. लोग तकते हैं बड़े शौक से चौदहवीं का चाँद मेरे घर उतरा हैं माहताब अब क्या आसमाँ देखे.. -Moeen
धड़कने दे अपने सीने में मैं तेरा दिल हुँ शौक से गले लगा मुझे मैं तेरी मंज़िल हुँ.. यूँ ना लौट बार बार लग कर तू गले मेरे ठहर जा उम्र भर यहीं तेरा साहील हुँ.. -Moeen
महफूज़ हमारे लिए भी कोई शब रहने दो हम मिल जाएगे बुलंद दस्ते तलब रहने दो.. गुज़र जाएगी ये शब खामोशी से दबे पाँव तुम यूँ ही मेरे लबों पर अपने लब रहने दो.. -Moeen
दीदार चांद का मुझे करने की जरूरत नहीं.. जान मेरी, तुझे कतई सजने की जरूरत नहीं.. True Love me aisi Shayari hoti hi hai
इज़हार ए इश्क़ करना चाहे दिल उसी तरह.. प्यार हुआ था आपसे पहली दफा जिस तरह.. Shayari Sukun website ko visit kariye
दिल दुखाने की बात का जिक्र कभी ना करता हूं.. जानेमन, इजहार ए इश्क करने से इसीलिए डरता हूं.. Swipe up to Visit our website
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शायरियां पढ़ने के लिए शुक्रिया!