Shayari Sukun Presents
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ज़िंदगी तेरा भ्रम काम ना आया हमारे दिल को कभी आराम ना आया.. मेरी कातील हैं ज़िंदगी की ख़्वाहीशें मगर कहीं पर इस का नाम ना आया.. Moeen
ज़िंदगी अब तनहाई से डरती हैं उम्र चुपचाप खामोशी से ढलती हैं ज़माना बैठा हैं तेरे इंतज़ार में हम पर रोज़ कयामत गुज़रती हैं -Moeen
तेरे बिना ज़िंदगी में बेमालुम ख़ामोशी छा जाती हैं.. तू रहे तो रौनक रहती हैं वरना काली रात आ जाती हैं.. -Vrushali
ज़िंदगी का हुस्न हैं ताज़ा कंवल जैसा ज़िंदगी का इम्तिहान हैं धड़कती गज़ल जैसा.. जो सोचता हुँ कभी गुज़री उम्र को लगता हैं ये सफर एक पल जैसा.. Moeen
कोई जलाता है चिराग सर ए शाम लिखता हैं खत ज़िंदगी के नाम.. धड़कते दिल ने तुझे रब माना हैं हशर में आए ये ईबादत काम.. *हशर : कयामत का मैदान
नामुमकिन सी लगती है जिंदगी हर कदम पर तेरे साथ के बिना.. नहीं तय कर पाऊंगी सफर मैं तू भले ही सिखा दे अकेले जीना.. Vrushali
हालात गरीबी के इंसान को डसते हैं दर्द के बादल भी झुम कर बरसते है.. ज़िंदगी आँखें बंद कर ले कुछ पल मुद्दतें हुई गरीब खुशी को तरसते हैं.. Moeen
तेरी यादों ने फिर आँचल लहराया दिन ढले हसरतों का जनाज़ा उठाया ज़िंदगी से रहता हुँ अब शर्मिंदा दुनिया की उलझनों से हुँ घबराया -Moeen
ज़िंदगी तेरे नाम कई अफसाने बने होश वाले, सब तेरे दिवानें बने.. ज़िंदगी पिघलती रही शमा की तरह हम महफिल में तेरी खातीर परवाने बने.. Moeen
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