By Prof. Shaikh Moeen
March 6, 2022
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संभाल मुझ को बड़ी मुश्किल से खड़ा हुँ मैं न कर नज़र अंदाज़ मुझे तेरी ही सदा हुँ मैं
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बुझा न दे बेदर्दी से मुझे सुबह होते ही तेरी ही खातिर तो रात भर जला हुँ मैं -Moeen Listen this on Website
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या रब तेरे सिवा नज़र आता नहीं सहारा चारो तरफ से यू तुफानो में घिरा हुँ मैं -Shaikh Moeen
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शामिल हुँ अपनों की महफ़िल में भी अजनबी की तरह यू हर एक से जुड़ कर भी सब से कटा हुँ मैं -Moeen
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पूछ कर मेरा पता वक्त बरबाद न करो तुझे नहीं पता खुद ही लापता हुँ मैं -Shaikh Moeen
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कॉलेज की वो सड़क भी अब सुनी हो गई आ जाओ मिलने अब भी वही खड़ा हुँ मैं -Moeen
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आंधिया लाख रोकती रही मुसाफिर को मगर वहा से भी दिप मोहब्बत के जला कर चला हुँ मैं -Moeen
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This ghazal indicates the feeling of being alone after someone special lefts you. after reading this you can relate it to your condition if you have a breakup for some reason.
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