Tehzeeb Hafi Poetry

एक और शख्स छोड़कर चला गया, तो क्या हुआ.. हमारे साथ कौन सा यह पहली मर्तबा हुआ..!

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ख्वाबों को आंखों से मिन्हा करती है नींद हमेशा मुझसे धोखा करती है.. उस लड़की से बस अब इतना रिश्ता है मिल जाए तो बात वगैरा करती है..

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तुझे किस किस जगह पर अपने अंदर से निकाले.. हम इस तस्वीर में भी तुझसे मिलके आ रहे हैं..

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ख़ाक ही ख़ाक थी और ख़ाक भी क्या कुछ नहीं था.. मैं जब आया तो मेरे घर की जगह कुछ नहीं था..

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क्या करूं तुझसे ख़यानत नहीं कर सकता मैं वरना उस आंख में मेरे लिए क्या कुछ नहीं था.. ये भी सच है मुझे कभी उसने कुछ ना कहा ये भी सच है कि उस औरत से छुपा कुछ नहीं था..

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तुझे भी अपने साथ रखता और उसे भी अपना दीवाना बना लेता.. अगर मैं चाहता तो दिल में कोई चोर दरवाजा बना लेता..

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धूप पड़े उस पर तो तुम बादल बन जाना अब वह मिलने आए तो उसको घर ठहराना. तुमको दूर से देखते देखते गुजर रही है मर जाना पर किसी गरीब के काम ना आना..

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वो फूल और किसी शाख पर नहीं खिलता वो जुल्फ सिर्फ मेरे हाथ से सँवरनी है.. तमाम नाखुदा साहिल से दूर हो जाए समुंदरों से अकेले में बात करनी है..

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उसी जगह पर जहां कई रास्ते मिलेंगे पलट के आए तो सबसे पहले तुझे मिलेंगे.. अगर कभी तेरे नाम पे जंग हो गई तो हम ऐसे बुजदिल भी पहले सफ़ में खड़े मिलेंगे..

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ये किस तरह का ताल्लुक है आपका मेरे साथ मुझे ही छोड़ के जाने का मशवरा मेरे साथ.. यही कहीं हमें रस्तों ने बद्दुआ दी थी मगर मैं भुल गया और कौन था मेरे साथ..

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Dil ko Chune Wali Shayari

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