Shayari Sukun Presents
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उम्र सारी अपनी नज़र-ए-सफर हों जाए खुदा करें तू मेरा हमसफ़र हो जाए तुझे देखा करूँ मै शबाना रोज़ मेरी सारी ज़िंदगी यूँ बसर हो जाए -Moeen
खौफ आता हैं मुश्किल डगर से तेरी चाह हैं एक उमर से किसी की तरफ उठती नहीं निगाह यूँ किया मंसूब खुद को हमसफ़र से *मंसूब – जोड़ना
तू वादा जो करें मुलाकात का मैं ता कयामत तेरा इंतज़ार करूँ सारी दुनिया को झुठला कर याराँ सिर्फ तुझ पर ही ऐतबार करूँ *ता क़यामत – क़यामत तक
शाम के ढलने से सहर तलक तुझे मिस्ल-ए-गज़ल गुनगुनाना अच्छा लगता हैं पैगाम-ए-अजल तक करूँगा तेरा इंतज़ार ख्वाब होकर भी तु कितना सच्चा लगता हैं *सहर – सुबह *मिस्ल-ए-गज़ल – गज़ल की तरह
हम फकीरों की ईद हो जाए शम्स ढले जो तेरी दीद हो जाए रब से माँगा तुझे सजदों में खुदा करें तु मेरा नसीब हो जाए *शम्स – सूरज shayarisukun.com
वो खोई रहती थी किताबों में उसे ढूँढता हुँ अब ख्वाबों में उस की झुकी सवाली निगाहें अकसर कुछ ढूँढती थी मेरे जवाबों में -Moeen
वो जब होती थी नाराज़ तो और भी ज़्यादा हसीन लगती थी जब वो गुलाबी दुपट्टे में आती थी वो चाँद की मकीन लगती थी Listen to this Shayari on Website
और क्या मांगूँ तुझे पाने के बाद ज़िंदगी खुशगवार हुई तेरे आने के बाद उम्र भर तुझे ताका करूँ यूँही मैं मुस्कुराऊँ तेरे मुस्कुराने के बाद -Moeen
तेरी बाहों में ज़िंदगी दगा दें मुझे यहीं मज़ारों पर मन्नत माँगता हुँ तेरा साथ माँग कर सदा के लिए दुनिया में ही जन्नत माँगता हुँ -Moeen
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