Shayari Sukun Presents
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खुदा रखे दूर हुकूमत से, इन कम अकलों को देना हैं एक हसीं वतन, हमें अपनी नसलों को.. ये लहलहाती फसलें देती हैं ज़मानत आज़ादी की खुदा रखे महफूज़ मेरे वतन की इन फसलों को.. -Moeen
आज़ादी वतन की हैं साहील मेरी टूटी कश्ती का मुल्क हिन्द मेरा मैं बाशिंदा मोहब्बत की बस्ती का.. लाखों मतवालों ने अपने लहू से सींचा हैं इसे मुकम्मल आज़ादी हैं हासिल उन की खेती का.. -Moeen
देखे हैं हमने प्यार करने वाले कई मगर वतन से अच्छा सनम कहां.. पैसों में लिपट कर मौतें कई हुई है नसीब में तिरंगे का कफन कहां.. #वन्दे मातरम!
बन कर चमका चाँद गुलामी की अँधेरी रातों में तू नहाया लाखो जयालों के खून की बरसातों में.. आज़ादी चमकती हैं तेरी मांग में सितारों की तरह ज़िक्र तेरा दहकाता हैं अगन उदास जज़बातों में.. -Moeen
कभी तो इन अंधीयारी रातों का सवेरा होगा सदीयाँ गुज़री आज़ादी का ख्वाब कब पूरा होगा.. हम से हैं रौशन ये महफिलें सारी इस वतन की हम ना होंगे तो फिर यहाँ दूर तलक अँधेरा होगा.. -Moeen
कुछ अलग नशा सा है लहराते तिरंगे का हमारे सीने में.. इसीलिए महसूस नहीं होती कोई कमी हमारे जीने में.. -Santosh shayarisukun.com
तोड़कर अंग्रे जों की गुलामी की जंजीरे चल पड़े हम अपने भविष्य को उज्वल बनाने.. जंग में कुर्बा न की हमने देश के वीरों की जा नें तब जाके तिरंगा लहराया नीले गगन में.. -Vrushali
आँसूँ बहाती हैं वतन के हालात पर हमारी नज़्म दिल का खून देकर लिखी हैं अपनी सारी नज़्म.. तसवीर जो खींची आज़ादी के ख्वाब की कभी मैं भी उदास रहती हुँ फिर ये पुकारे नज़्म.. -Moeen
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शायरियां पढ़ने के लिए शुक्रिया!