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Khamoshi par Shayari

by shayarisukun.com

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अल्फ़ाज़ कुछ थम से गये हैं, कलम बेज़ार-सी हो गयी है। तुम्हारी इस ख़ामोशी ने जैसे, दर्द की इम्तेहां-सी कर दी है। -Neha

जब भी तुम हमें याद आते हो, गुमनाम सी इक धड़कन धड़कती है। ख़ामोशी इन दोनों निगाहों में, तुम्हारी कशिश को अक्सर जगाती है -Neha

खामोशियों को खामोशियों से, हज़ारों बातें यूँ ही करनी थी। इस इश्क़ को मानो जैसे, चाहतें मुक्कमल करनी थी। -Neha

गुज़र जाएँगे हर लम्हें, तुम्हारी यादों के साथ। इज़हार नहीं करेंगे कभी, ख़ामोशी का देंगे साथ। @shayarisukun

कभी-कभी ख़ामोशी भी, दिल का हाल बताती है। जिक्र न भी करों शब्दों में, राज़ वो खोल ही देती है....। -Neha

जुबां पर जब भी नाम तुम्हारा आया, लगा जैसे हर एक फूल मुस्कुराया। खिल गयी गुलशन की हर कली, ख़ामोशी से हवा ने भी साथ निभाया -Neha

मलंग होकर तेरे इश्क़ में, शायर कुछ ऐसे हम बन गए। बिना अल्फ़ाज़ों के ही अक़्सर, ख़ामोशी पर नज़्म लिखने लगे -Neha

तुम्हारी ये ख़ामोशी अक्सर, हमसे बातें करती रहती है। तू नहीं तेरी यादें सही, दिल को बहलाती रहती है -Neha

गहराईयों के इस समंदर में, शोर बहुत है तन्हाइयों का। ख़ामोशी से वो मौजें भी, दर्द बाँटती है उस साहिल का। -Neha

कैसी ख़ामोशी है हर तरफ़, क्यूँ ये मायूसी छाई है। तुम्हारी वफ़ा का एतबार, क्यूँ ये नहीं दिलाती है। -Neha

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