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Rahat Indori Shayari

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बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर.. जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं.. -राहत इंदौरी shayarisukun.com

हाथ खाली है तेरे शहर से जाते जाते जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते.. अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते जाते.. Rahat Indori Shayari

मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता.. यहां हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी.. 2 Line Shayari of Rahat Indori Sahab

चरागों का घराना चल रहा है हवाओं से दोस्ताना चल रहा है.. नए किरदार आते जा रहे हैं मगर नाटक पुराना चल रहा है.. -राहत इंदौरी

सूरज, सितारे, चांद मेरे साथ में रहे जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहे.. शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे.. Visit Shayari Sukun website to listen

जितने अपने थे सब पराए थे हम हवा को गले लगाए थे.. है तेरा कर्ज मेरी आंखों पर तूने सपने बहुत दिखाए थे.. -राहत इंदौरी

अगर खिलाफ है, होने दो, जान थोड़ी है ये सब धुँआ है, कोई आसमान थोड़ी है.. लगेगी आग तो आएंगे, घर कई ज़द में यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है.. shayarisukun.com

लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यों है इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों है.. मोड होता है जवानी का संभलने के लिए और सब लोग यही आके फिसलते क्यों है.. -Rahat Indori

रंग चेहरे का जर्द कैसा है आईना गर्द-गर्द कैसा है.. काम घुटनों से जब लिया ही नहीं फिर ये घुटनों में दर्द कैसा है..? -Rahat Indori Sahab

उंगलियां यू ना सब पर उठाया करो खर्च करने से पहले कमाया करो.. जिंदगी क्या है खुद ही समझ जाओगे बारिशों में पतंगे उड़ाया करो.. -राहत इंदौरी

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