By shayarisukun.com
March 15, 2022
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जुदाई का वक्त, क़यामत की घड़ी थी ज़िंदगी भी हाथ जोड़े ख़ामोश खड़ी थी.. मैं रो पड़ता हुँ तन्हाई में अकसर किसमत की आज़माइशें बहोत कड़ी थी.. -Moeen
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शहरों की भीड़ में अपना घर नहीं मिलता दिल तो मिलता हैं मगर मुकद्दर नहीं मिलता.. तन्हाई के आलम में सोचते रहे शब भर वो मिलता तो हैं मगर अब टूट कर नहीं मिलता.. -Moeen
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हरजाई की याद भी हमारी खातीर बंदगी थी हसीन ख़यालों की भीड़ में गुम ज़िंदगी थी.. ख़याल आता हैं वक़्ते जुदाई का तन्हाई में तेरे लबों पर इंकार आँखों में शर्मिंदगी थी.. -Moeen
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ज़िंदगी अपनी तेरे इंतज़ार में गुज़ारता हैं कोई शबाना रोज़ अपनी चाहत को मारता हैं कोई.. तन्हाई में वो मुझे सोच कर रोती होगी इधर ग़मों से हँसी के क़र्ज़ उतारता हैं कोई.. -Moeen
अब किसी से हमें कोई शिकायत नहीं रही तेरे बाद मुस्कुराने की आदत नहीं रही.. तुझ से बिछड़ कर सजाई महफिलें तन्हाई की तेरे बाद हमें किसी की ज़रूरत नहीं रही.. -Moeen
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हो गया है दुश्वार एक पल भी जीना, जुदाई में.. कहता था जिन्हें जिंदगी छोड़ गए वो, तन्हाई में..
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साथ जिसके एक दिन जमाना होता है.. शुरुआत में अक्सर वो तन्हा ही रोता है..! -Sagar
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जी रहे हैं ख्वाबों में अब हकीकत कैसी.. साथ ही ना हो कोई तो शिकायत कैसी..? -Sagar
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छोड़ गए हो तन्हा, फिर भी तुम्हें ही सोचते हैं.. खुश रहने वालों को ही सभी खैरियत पूछते हैं..! @shayarisukun
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साथ छोड़ देता है अक्सर, नसीब भी उसी का.. जान जाता है जो दस्तूर, कौन होता है किसी का.. #shayarisukun
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