By Ashish Kale
April 15 2022
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वक्त के सितम देखे भाले हैं जिन के पैरों में छाले हैं ज़ख्म खाते हैं उफ्फ नहीं करते ये किस बस्ती के रहने वाले हैं -Moeen
हमें वक़्त के साथ वक्त से ही लड़ना सीखना है.. और वक़्त के ही खेल में वक़्त से आगे निकलना है.. -Sagar
मत हो मायूस तू सब्र कर वक्त तुझे भी तेरा तख्त दिलाएगा… और आज जो हस रहा है तुझे झुकते देख.. कल पेट के लिए वो भी सर झुकाएगा… -Reena
यह वक्त मुनासिब नहीं, इसलिए चुप हूं मैं.. जल्द ही बताऊंगी सबको क्या हूं और कौन हूं मैं.. -Reena
यह जालिम वक्त भी हमारा दुश्मन हुआ बैठा है जब उनसे बात नहीं होती तो बड़ा देरी से कटता है -Sagar
ज़माना कहता हैं वक्त मरहम तुझे बता मेरे ज़ख्मों का मुदावा* मुझे बरबादी का मेरी नहीं तू ज़िम्मेदार पता था ज़ालीम तेरा इरादा मुझे [मुदावा = घाव भरना]
मौत भी इंतज़ार करवा रही हैं हमें.. जिंदगी हमारी इतनी बेज़ार हो चुकी हैं.. -Vrushali
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