By shayarisukun.com
March 9, 2022
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कभी खामोश बैठोगे, कभी कुछ गुनगुनाओगे मैं उतना याद आऊंगा मुझे जितना भुलाओगे.. कोई जब पूछ बैठेगा खामोशी का सबब तुमसे बहुत समझाना चाहोगे मगर समझा न पाओगे.. -Moeen
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जिन्दगी एक कर्ज है, भरना हमारा काम है हम को क्या मालूम कैसी सुबह है, शाम है.. सर तुम्हारे दर पे रखना फर्ज था, सर रख दिया आबरू रखना न रखना यह तुम्हारा काम है.. -Moeen
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नाम आया होठों पर जब भी महफिल में तेरा, हमने नजरअंदाज किया.. दिल को अपने समझा कर उस बेवफा महफिल को खुदा हाफिज किया.. -Santosh
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तेरे बिन अब बहारें उदास रहती हैं तेरी यादें हमेशा मेरे आसपास रहती हैं.. साँसों की माला टुटने से पहले लौट आ आँखों को तेरे आने की आस रहती हैं… -Moeen
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हम ने तो नहीं जाना तिनके का सहारा भी तूफाँ ने डुबोया था… तूफाँ ने उभारा भी.. है एक जमाने पर एहसान हमारा भी बिगड़े जो मुहब्बत में कितनों को सँवारा भी.. -Moeen
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दिल का रिश्ता कायम करता उससे, लेकिन वो तो बेवफ़ा था.. न जाने, खुदा ने तकदीर में हमारी और क्या-क्या लिखा था..? -Santosh
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एक दीवाने को ये आए हैं समझाने कई पहले मैं दीवाना था और अब हैं दीवाने कई.. मुझ को चुप रहना पड़ा बस आप का मुँह देख कर वरना महफ़िल में थे मेरे जाने पहचाने कई.. -Moeen
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मुकद्दर में लिखे शायद अँधेरे थे बड़ी दूर मुस्कुराहटों के सवेरे थे.. कल शब चली आँधियाँ तेरी यादों की सुबह शाखों पर उजड़े हुए बसेरे थे.. -Moeen
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एक ही पत्थर लगे है हर इबादतगाह में गढ़ लिये हैं एक ही बुत के सब ने अफ़साने कई.. मैं वो काशी का मुसलमाँ हूँ के जिस को ऐ ‘नज़ीर’ अपने घेरे में लिये रहते हैं बुतख़ाने कई.. -Moeen
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मेरी तकलीफ को राहत की कोई शाम न दो मैं मुसीबत में पला हूँ मुझे आराम न दो.. क्या करोगे मुझे अब दाग-ए-जुदाई दे कर जिन्दगी भर की मुहब्बत का यह ईनाम न दो..
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