Shayari Sukun Presents
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ऐ गुनाहगार, आज होगी कबूल हर इबादत तेरी खुदा से मांग ले... जो भी हैं चाहत तेरी.. बख्श देगा वो तुझे, जुमे के सदक़े में रखी जाएगी उस दरबार में आज हर बात तेरी.. -Moeen
ये बुलंद होती सदाएँ उस नाम की मीनारों में कर देती हैं रिक़्क़त तारी सब गुनाहगारों में.. चले आओ जुमे की मुबारक साअतों में यहाँ ना पूछ क्या पाता हैं ज़माना इन मज़ारों में.. -Moeen
कासीद, जा और जुमा मुबारक कहना उसे बन कर एक चंचल दरिया सदा हैं बहना उसे.. बग़दाद का महल लिखा उस चौखट को हम ने दिल के महल में मलीका बन कर हैं रहना उसे.. -Moeen
तुम्हारी मांग में बड़े बेचैन ये सितारे हैं आशिकी के नवाब तेरी गली में दिल हारे हैं.. कभी रोए सजदों में, कभी हाथ उठाए जुमे को सदा खुश रहे वो यहीं दुआ लबों पर हमारे हैं.. -Moeen
बख्शता हैं वो आज के दिन ख़ताएँ सब की खुल्द में जा पहुँचा मैंने इबादत हैं जब की.. भरी पड़ी हैं ये तारीख़ ऐसे वाक़ियात से ज़माने की मर्ज़ी और थी मर्ज़ी और थी रब की.. -Moeen
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शायरियां पढ़ने के लिए शुक्रिया!