Shayari Sukun Presents
by Shaikh Moeen Shaikh Naeem
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हालात के तूफ़ान जब मुझे कभी सताने लगे है लफ्ज़ दुआ के फिर माँ के लबों पर आने लगे है -Shaikh Moeen shayarisukun.com
गरीबी में भी हमें पालती रही शहज़ादों की तरह अपना नया जोड़ा बनाने में माँ को ज़माने लगे है -Shaikh Moeen shayarisukun.com
उठाए जो हाथ माँ ने दुआओं में मेरी खातीर सब ग़म मेरी किस्मत के फिर मुँह छुपाने लगे है -Shaikh Moeen shayarisukun.com
किये जो चंद सिक्के खर्च मैं ने माँ पर अपनी दुःख सारे मेरी ज़िंदगी से फिर वापस जाने लगे है -Shaikh Moeen shayarisukun.com
मुसीबत में जो करने लगा हुँ मदद माँ की मंज़र रहमतों के अब रुख अपना दिखाने लगे है -Shaikh Moeen shayarisukun.com
करने लगा हुँ काम मैं अपनी माँ के जब से रहमत के फ़रिश्ते घर मेरे चक्कर बढ़ाने लगे है -Shaikh Moeen shayarisukun.com
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