Shayari Sukun Presents

Maa par Ghazal

by Shaikh Moeen Shaikh Naeem

tap screen for next slide

अगले स्लाइड के लिए स्क्रीन टैप करें

हालात के तूफ़ान जब मुझे कभी सताने लगे है लफ्ज़ दुआ के फिर माँ के लबों पर आने लगे है -Shaikh Moeen shayarisukun.com

गरीबी में भी हमें पालती रही शहज़ादों की तरह अपना नया जोड़ा बनाने में माँ को ज़माने लगे है -Shaikh Moeen shayarisukun.com

उठाए जो हाथ माँ ने दुआओं में मेरी खातीर सब ग़म मेरी किस्मत के फिर मुँह छुपाने लगे है -Shaikh Moeen shayarisukun.com

किये जो चंद सिक्के खर्च मैं ने माँ पर अपनी दुःख सारे मेरी ज़िंदगी से फिर वापस जाने लगे है -Shaikh Moeen shayarisukun.com

मुसीबत में जो करने लगा हुँ मदद माँ की मंज़र रहमतों के अब रुख अपना दिखाने लगे है -Shaikh Moeen shayarisukun.com

करने लगा हुँ काम मैं अपनी माँ के जब से रहमत के फ़रिश्ते घर मेरे चक्कर बढ़ाने लगे है -Shaikh Moeen shayarisukun.com

Next web story

-: ghazal on maa :-

shayarisukun.com

swipe up for next story

शायरियां पढ़ने के लिए शुक्रिया!