Shayari Sukun Presents
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जब भी माँगा खुदा से... था लबों पर सवाल तेरा सर था सजदे में... मगर दिल में था ख्याल तेरा ज़िंदगी के इस सफर में... हालात की इस धुप में काश नसीब हो जाए मुझे... जान आँचल तेरा
साँसों की माला टूटने तक रिश्ता निभाएगे हम गीतों के बहाने सदा तेरा नाम गुनगुनाएगे हम ज़माना याद रखेगा दास्ताँ मेरी चाहत की जानम तेरी मोहब्बत में एक रोज़ खुद को यूँ मिटाएगे हम
तेरी यादों को इस तरह दिल में सजा रखा है कोई देखे तो कहे के खज़ाना छुपा रखा है मेरी आँखों की चमक से हैरान है सारा ज़माना जब से तेरी मोहब्बत का सुरमा लगा रखा है
भुला कर ज़माने को तुझे अपना बनाना चाहता हुँ गीतों की तरह जाने वफ़ा तुझे गुनगुनाना चाहता हुँ तेरे वजूद से है मेरी ज़िंदगी में बहारें जानम बेजान आँखों में तेरे ख्वाब सजाना चाहता हुँ
अच्छा लगता है नाम अपना सुनना ज़बानी तेरी मुझे पहरों रुलाती है... अकसर कहानी तेरी तुम ने दी थी जो कभी कलम तोहफे में मुझे रहती है सदा दिल के क़रीब वो निशानी तेरी
मैं ने रातों को जो मांगी..... वो दुआ हो तुम मेरे लबों पर कपकपाती दिलकश सदा हो तुम ज़िक्र से तेरे रौशन है अफसाना ज़िंदगी का मेरी जान जाने ग़ज़ल हो तुम जाने वफ़ा हो तुम
तुझे देखा करू रोज़ बड़े क़रीब से मेरे ख्वाब भी है... बड़े अजीब से नहीं चाहता जान अब मैं तुझे खोना तू मिला है मुझे.... बड़े नसीब से
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शायरियां पढ़ने के लिए शुक्रिया!