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Jaan Shayari

by shayarisukun.com

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वो गुनगुनाती थी महफिलों में हमारी गज़ल हारा मैं… लेकिन मेरी ना हारी गज़ल कागज़ अपनी जान पर सितम करता हैं तेरी बेवफाई की जब से उतारी गज़ल -Moeen

पेट की खातिर महफिल में गीत सुनाते हैं अजीब लोग हैं…. हवाओं में महल बनाते हैं जानों को जिन की अहमियत नहीं देता ज़माना मरते मरते वो जीने का हुनर सिखाते हैं -Moeen

करूँ जो ज़िक्र तेरा अलफ़ाज़ मेरे गज़ल हो जाए तेरे वजूद से मेरा गरीब खाना ताजमहल हो जाए.. तेरी सोहबत से सफर की मुसा फत घटे जानाँ सदीयों का सफर भी घट कर पल दो पल हो जाए.. -Moeen

इस जा न की सांसें तेरी धड़कनों से चलती है.. तू दूर हो जाए थोड़ी तो बैचेनी सी लगती है.. -Vrushali shayarisukun.com

जब खुशीयाँ सारी अपनी मर जाए तन्हाईयों के सन्नाटे हैं किधर जाए ये जान थी कभी किसी की अमानत चलों हम भी वादों से मुकर जाए -Moeen

मेरे दिल में बस अब तेरा ही खयाल है रब से मांगी दुआ पर तेरा ही नाम है.. ये मेरी जा न तुझ पर निसार करता हूं मेरी जिंदगी की डोर तेरे ही साथ है.. -Vrushali

संम्भल के रखा है जान को मेरे शोना सिर्फ आपके ही लिए.. इतना भी प्यार कैसे हो गया दिन कम पड़ते है सोचने के लिए.. -Sagar

तेरी सादगी भी दीवानों के होश उड़ाती हैं तेरी यादें चाहने वालों की नींदें चुराती हैं.. लोग कहते हैं मेरे मुँह से फूल झड़ते हैं मेरे लबों पर जानाँ जब तेरी बात आती हैं.. -Moeen

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