Shayari Sukun Presents

Ghazal on Maa

by Shaikh Moeen Shaikh Naeem

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ज़माने की ठोकरें हम खाते रहे मगर चलते रहे माँ की खातीर हालात की तपीश में जलते रहे -Shaikh Moeen shayarisukun.com

माँ की तालीम ने भटकने ना दिया कभी राह से सब थे बिगाड़ने को बेताब मगर हम संभलते रहे -Shaikh Moeen shayarisukun.com

जो रखे क़दम घर से बाहर कमाने की खातीर अलफ़ाज़ दुआओं के माँ के लब पर मचलते रहे -Shaikh Moeen shayarisukun.com

माँ ने गुज़ार दी उम्र अपनी सारी मेहनत करते देख कर कमाई मेरी अश्क आँखों से निकलते रहे -Shaikh Moeen shayarisukun.com

हुआ जो नसीब उसे साया मुद्दतों की धूप के बाद लोग मेरी माँ को मुस्कुराता देख कर जलते रहे -Shaikh Moeen shayarisukun.com

मेरी माँ ने कर दी क़ुरबान उन पर नींदें अपनी जो हालात के मुताबीक रंग अपना बदलते रहे -Shaikh Moeen shayarisukun.com

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