उस की आँखें…गहरी झील सी उसकी ज़ुलफ़ों से घटा शरमाती हैं बेपनाह जो चाहते हैं किसी को उन से अकसर नींदें रूठ जाती हैं Bepanah Shayari
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छोड़ कर तुम्हारे सपने कुछ और ना देखना चाहूंगा. ताउम्र तुमसे ही मोहब्बत मैं बेपनाह करना चाहूंगा.. Shayari on Bepanah Ishq
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वो अनसुलझे सवालों का जवाब हैं हकीकत हैं वो…या कोई ख्वाब हैं जिसे चाहता हुँ मैं बेपनाह यारों सारी कायनात में वो लाजवाब हैं
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तेरे लबों से जलते हैं गुलाब तू हैं सुबह का हसीन ख्वाब कुदरत ने बख्शा तुझे हुस्न बेपनाह बदलीयों में जैसे चमकता हो माहताब* [*माहताब – चाँद]
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मेरे ख़्वाबों को इजाज़त नहीं है तेरे सिवा किसी और को देखने की.. हिदायत है मेरे दिल को भी तूझसे ही बेपनाह मोहब्बत करने की..
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मेरा एक पल भी नहीं बीतता अब तुझसे दूर रहकर.. बेपनाह इश्क लेकर दिल में चल पड़ी हूं बेनाम रास्तों पर..
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नाआश्ना हुए हम जमाने के चाल, चलन और ढंग से.. जब वाकिफ हुए हम इस बेपनाह इश्क, मोहब्बत और प्यार से..
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सर्द हवाओं के झोंकों से अब हमें नहीं मिल पा रही है पनाह जब इश्क हुआ हमें आपसे तो आपकी बाहों में गर्माहट मिली बेपनाह
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गिन रहा हूं नब्ज खुद अपनी इसका हिसाब कौन करें.. मौला मेरे बता दें, बेपनाह इश्क का इलाज कौन करें..?
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