Shayari Sukun Presents
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खामोश आँखों में हमारी दहकते शरारे हैं सारी दुनिया से निराले अंदाज़ हमारे हैं.. वो हमें झुक कर सलाम करते हैं जो ज़माने में आज आका तुम्हारे हैं… Moeen
कितने गुरूर बदलें और न जाने कितनी रस्में तोड़ी.. लेकिन मुस्कुराने की आदत हमने कभी नहीं छोड़ी.. Santosh
ज़माने में सर उठा कर चलते हैं चिराग हमारे तुफानों में भी जलते हैं.. मैं आँधियों पर वार करता हुँ हमें मिटाने कई तुफान मचलते हैं..! Moeen
रुतबा लेकर चलेंगे हम साथ, जिंदगी में कभी ना रुकेंगे.. आंधी भी आए तो हम सामने उसके कभी ना झुकेंगे.. Santosh
गिर कर भी हम ने संभलना सिखा ठोकरों से हम ने हैं चलना सिखा.. समंदर से सिखा खामोशी का हुनर दरियाओं से हम ने मचलना सिखा.. Moeen
कोई हो चुप तो हो सकता है गुस्से का शौकीन हो.. बात से ज्यादा शायद उसे अपनी थप्पड़ पर यकीन हो.. Santosh
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शायरियां पढ़ने के लिए शुक्रिया!