Ahmad Faraz Shayari

हुई है शाम तो आँखों में बस गया फिर तू कहाँ गया है मेरे शहर के मुसाफ़िर तू.. बहुत उदास है इक शख़्स तेरे जाने से जो हो सके तो चला आ उसी की ख़ातिर तू..

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साथ रोती थी मेरे साथ हंसा करती थी वो लड़की जो मेरे दिल में बसा करती थी.. बात क़िस्मत की है जुदा हो गए हम वरना वो तो मुझे तक़दीर कहा करती थी..

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एक लम्हे का बिछड़ना भी गिरां था उस को रोते हुए मुझ को ख़ुद से जुदा करती थी.. रोग दिल को लगा बैठी अंजाने में मेरी आगोश में मरने की दुआ करती थी..

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Ahmad Faraz Shayari

वो जो आ जाते थे आँखों में सितारे लेकर जाने किस देस गए ख़्वाब हमारे लेकर.. शहर वालों को कहाँ याद है वो ख़्वाब फ़रोश फिरता रहता था जो गलियों में गुब्बारे लेकर..

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Ahmad Faraz Shayari

रातें हैं उदास दिन कड़े हैं ऐ दिल तेरे हौसले बड़े हैं.. अब जाने कहाँ नसीब ले जायें घर से तो हम चल पड़े हैं..

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Ahmad Faraz Shayari

रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ.. किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम तू मुझ से ख़फ़ा है, तो ज़माने के लिए आ..

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तेरी बातें ही सुनाने आये दोस्त भी दिल ही दुखाने आये.. फूल खिलते हैं तो हम सोचते हैं तेरे आने के ज़माने आये..

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Ahmad Faraz Shayari

तड़प उठूँ भी तो ज़ालिम तेरी दुहाई न दूँ मैं ज़ख़्म ज़ख़्म हूँ फिर भी तुझे दिखाई न दूँ.. तेरे बदन में धड़कने लगा हूँ दिल की तरह ये और बात के अब भी तुझे सुनाई न दूँ..

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ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे तू बहुत देर से मिला है मुझे.. तू मोहब्बत से कोई चाल तो चल हार जाने का हौसला है मुझे..

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Ahmad Faraz Shayari

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें.. ढूँढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती ये ख़ज़ाने तुझे मुम्किन है ख़राबों में मिलें..

Romantic Poetry in Urdu

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