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45+ Mirza Ghalib Shayari Urdu: ग़ालिब साहब की मशहूर शेर शायरी

Mirza Ghalib Shayari Urdu: दोस्तों, मिर्जा गालिब साहब की शायरियां हर एक प्यार करने वालों के जज्बात ही बताती है. क्योंकि उनकी लिखावट हर आशिक के दिल के हालात ही बताती है. इसी वजह से पूरी दुनिया ही मिर्जा गालिब साहब के शायरियों की दीवानी है.

उनके लिखे Ghalib Shayari हर साधारण व्यक्ति को भी अपने दिल का हाल बताते है. इसी वजह से वे पढ़ते ही जैसे दिल में उतर जाते है. और हर एक दीवाना दिल उनके इस कार्य के लिए उन का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता है. आज भी कई सारे आशिक अपनी महबूबा को रिझाने के लिए गालिब साहब की शायरियों का आसरा लेते हैं.

हम भी आपके लिए दिल में उतर जाने वाली Mirza Ghalib Shayari Urdu लेकर आए हैं. और Shayari Sukun के मंच पर उनकी शायरियां सुनना आपके लिए बहुत ज्यादा सुखद अनुभव होगा. आपको यह शायरियां कैसे लगी? इसके बारे में हमें कमेंट सेक्शन में कमेंट करते हुए जरूर बताएं.

Mirza Ghalib Shayari In Urdu

देखा दोस्तों, मिर्जा गालिब जी ने अपने इस शेर में कितना दर्द लिखा है! उन्हें पता है कि हर एक मजनू अपने महबूब पर तहे दिल से विश्वास करता है. और इसी वजह से उसे दिलबर की हर एक बात पर पूरा यकीन होता है.

1)

कोई मेरे दिल से पूछे
तिरे तीर-ए-नीम-कश को..

ये ख़लिश कहाँ से होती
जो जिगर के पार होता..

koi mere dil se pucche
tire teer-e-neem-kash ko…
ye khalish kaha se hoti
jo jigar ke paar hota..

2)

नज़र लगे न कहीं
उसके दस्त-ओ-बाज़ू को..

ये लोग क्यूँ मेरे
ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं..

nazar lage n kahi
uske dast-o-baju ko
ye log kyu mere
jakhme jigar ko dekhte hai..

3)

है एक तीर जिस में
दोनों छिदे पड़े हैं..

वो दिन गए कि अपना
दिल से जिगर जुदा था..

hai ek teer jis mein
dono chide pade hai..
wo din gaye ki apna
dil se jigar juda tha..

4)

तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें..

हम औजे तअले लाल-ओ-गुहर को देखते हैं..

tere javahire tarfe kul ko kya dekhe..
hum auje tale lal-o-guhar ko dekhte hai..

5)

फिर देखिए अंदाज़-ए-गुल-अफ़्शानी-ए-गुफ़्तार,

रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा मिरे आगे!!

fir dekhiye andaaz-e-gul-afshani-e-guftar,
rakh de koi paimana-e-sahba mire aage!!

6)

मुहब्बत में उनकी
अना का पास रखते हैं,

हम जानकर अक्सर
उन्हें नाराज़ रखते हैं!

muhabbat main unki
ana ka paas rakhte hai,
hum jaankar apsar
unhe naraz rakhte hai!

7)

ये हम जो हिज्र में
दीवार-ओ-दर को देखते हैं..

कभी सबा को कभी
नामाबर को देखते हैं..

ye hum ho hijr main
deewar-o-dar ko dekhte hai..
kabhi saba ko kabhi
namabar ko dekhte hai..

8)

इन आबलों से पाँव के
घबरा गया था मैं..

जी ख़ुश हुआ है राह को
पुर-ख़ार देख कर!

in aabalon se paav ke
ghabra gaya tha main..
ji khush hua hai rah ko
pur-khar dekh kar!

9)

वो आए घर में हमारे,
खुदा की क़ुदरत हैं..

कभी हम उनको कभी
अपने घर को देखते हैं..

wo aaye ghar main humare
khuda ki kudrat hai..
kabhi hum unko kabhi
apne ghar ko dekhte hai..

10)

रगों में दौड़ते फिरने के
हम नहीं क़ाइल,

जब आँख ही से न टपका
तो फिर लहू क्या है!

ragon main daudate firne ke
hum nahi qaail,
jab aankh hi se na tapka
to fir lahu kya hai!

और वह उस यकीन के ही सहारे अपनी जिंदगी गुजारता रहता है. लेकिन जब वो दिलबर ही उसका वह यकीन तोड़ दे, तो क्या होगा? फिर चाहे वह उस यकीन को जानबूझकर तोड़े या फिर गलती से ही क्यों ना तोड़े! लेकिन अब उसका टूटा हुआ दिल फिर से कभी जुड़ने वाला नहीं है. और इसी वजह से वह उस महबूब को ही बद्दुआये देने लगता है.

Mirza Ghalib Shayari in Hindi
Mirza Ghalib Shayari in Hindi

और इसके लिए उनका कहना है कि हमें बस खुद अपने ही मौत की बात को अफवाह के रूप में कहनी है. लोगों का आपके घर तांता लगना तय है. क्योंकि लोग किसी के होते हुए उसे ज्यादा तवज्जो नहीं देते हैं. जितना कि उसके जाने के बाद उसे याद करते हैं.

Mirza Ghalib Shayari In Hindi

मिर्जा गालिब साहब इस शेर की बदौलत हमें हर वक्त चौकन्ना रहने की हिदायत देना चाहते हैं. क्योंकि उनका मानना है कि यह दुनिया बहुत जालिम और होशियार है. इस दुनिया में हमें जो बात कभी पता नहीं होती वह पहले ही हो चुकी होती है.

और इसी वजह से हमको हर वक्त सभी बातों पर ध्यान रखने की जरूरत होती है. ताकि कोई भी आकर हमें किसी बात के लिए धोखा ना दे जाए. क्योंकि गुब्बारे वाला भी छोटे से गुब्बारे में बस हवा भरते हुए उसे बेच देता है.

11)

हम तो फना हो गए
उसकी आंखे देखकर,

ना जाने वो आइना
कैसे देखते होंगे..

ham to fanaa ho gaye
uski aankhen dekh kar,
na jaane vo aaina
kaise dekhte honge..

12)

बर्दाश्त नहीं तुम्हें किसी और के साथ देखना,

बात शक की नहीं हक की है..

bardaasht nahin tumhen kisi aur ke sath dekhna,
baat shak ki nahin hak ki hai..

13)

नशे की आदत तेरी आंखों ने लगाई है,

कभी हम भी होश में जिया करते थे..

nashe ki aadat teri aankhon ne lagai hai
kabhi ham bhi hosh mein jiya karte the..

14)

इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया

वरना हम भी आदमी थे काम के..!

ishq mein ghalib nikamma kar diya
varna ham bhi aadami the kaam ke..!

15)

उनके देखने से जो
आ जाती है चेहरे पर रौनक

वह समझते हैं कि
बीमार का हाल अच्छा है..

unke dekhne se jo
aa jati hai chehre per raunak
vah samajhte hain ki
bimar ka haal achcha hai..

16)

किसी की क्या मजाल थी
जो कोई हमें खरीद सकता ग़ालिब..

हम तो खुद ही बिक गए
खरीददार देखकर..

kisi ki kya maja le thi
jo koi hamen khareed sakta ghalib..
ham to khud hi bik gaye
khariddar dekhkar..

17)

इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’

कि लगाए न लगे और बुझाए न बने..

ishq par zor nahin hai ye vo aatish ‘ghalib’
ki lagaye na lage aur bujhaye na bane..

18)

तू मिला है तो ये अहसास हुआ है मुझको,

ये मेरी उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है..

tu mila hai to ye ehsaas hua hai mujhko,
ye meri umra mohabbat ke liye thodi hai..

19)

इस सादगी पे कौन
न मर जाए ए खुदा,

लड़ते हैं और हाथ में
तलवार भी नहीं..

is saadgi pe kaun
na mar jaaye ae khuda,
ladte hain aur hath mein
talwar bhi nahin..

20)

ज़िन्दग़ी में तो सभी
प्यार किया करते हैं..

मैं तो मर कर भी
मेरी जान तुझे चाहूँगा!

jindagi mein to sabhi
pyar kiya karte hain..
main to mar kar bhi
meri jaan tujhe chahunga..

Mirza Ghalib Shayari In Hindi की मदद से दुनिया की सच्चाई को सामने लाना चाहते हैं. क्योंकि ग़ालिब साहब को पता था कि दुनिया में अच्छे इंसानों के साथ साथ बहुत सारे बुरे भी इंसान है. और वे अपने बुरे कामों को कभी छोड़ते नहीं है.

फिर चाहे वह उस बुरे काम को करने के लिए कभी-कभी अच्छाई कर ढोंग भी रचाते हैं. इसी के लिए वे हमें उदाहरण देना चाहते हैं कि गुनाहगार भी नमाज अदा करता है. और उस नमाज को अदा करने के बाद भी वह गुनाह करना छोड़ता नहीं है.

Mirza Ghalib Shayari

हम सभी दुनिया की बातों को महसूस करते हैं. तब हमें दुनिया बहुत ही जालिम सी नजर आती है. क्योंकि जमाना किसी पर भी जल्दी यकीन नहीं करता है. और ना ही कोई बात दुनिया को जल्दी सच्ची लगती है. और इसके लिए हमें कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं है.

अगर हम किसी गरीब या फकीर को कुछ सिक्के दे. तो वह हमें बहुत सारी दुआएं देकर निकल जाता है. लेकिन अगर वहीं पर हम किसी अमीर इंसान की या फिर पहचान वाले इंसान की कोई मदद कर दी. तब वह हमें शायद ही कभी याद करता हो.

21)

एक बार और देख कर
आजाद कर दे मुझे,

मैं अब भी तेरी पहली
नजर की कैद में हूं..

ek bar aur dekhkar
azad kar de mujhe,
main ab bhi teri pahli
najar ki kaid mein hoon..

22)

इस कदर तोड़ा है मुझे
उसकी बेवफाई ने गालिब,

अब कोई अगर प्यार से भी
देखें तो बिखर जाता हूं मैं..

is kadar toda hai mujhe
uski bewafai ne ghalib
ab koi agar pyar se bhi
dekhen to bikhar jata hun main..

23)

इश्क वो नहीं
जो तुझे मेरा कर दे..

इश्क वो है जो तुझे
किसी और का ना होने दें..!

ishq vo nahi jo
tujhe mera kar de..
ishq vo hai jo tujhe
kisi aur ka na hone de..!

24)

तुम मुझे कभी दिल,
कभी आंखो से पुकारो ‘गालिब’..

यह होठों का तकल्लुफ
तो जमाने के लिए है..

tum mujhe kabhi dil,
kabhi aankhon se pukaro ghalib..
yah hothon ka takalluf
to jamane ke liye hai..

25)

हमको मालूम है
जन्नत की हकीकत लेकिन,

दिल को खुश रखने को
ग़ालिब यह ख्याल अच्छा है..

humko maloom hai
jannat ki haqeeqat lekin,
dil ko khush rakhne ko
ghalib yah khayal achcha hai..

26)

जला है जिस्म जहाँ
दिल भी जल गया होगा,

कुरेदते हो जो अब राख,
जुस्तजू क्या है..?

jala hai jism jahan
dil bhi jal gaya hoga,
kuredte ho jo ab rakh,
justuju kya hai..?

27)

पूछते हैं वो कि गालिब कौन है?

कोई बतलाओ के हम बतलाएं क्या..?

puchte hai wo ki ghalib kaun hai?
koi batlao ke ham batlaye kya..?

28)

गालिब बुरा ना मान
जो वाइज़ बुरा कहे,

ऐसा भी कोई है की
सब अच्छा कहे जिसे..

ghalib bura na man
jo vaaij bura kahe,
aisa bhi koi hai ki
sab achcha kahe jise..

29)

सरे राह जो उनसे नजर मिली,
तो नक्श दिल के उभर गए..

हम नज़र मिला कर झिझक गए,
वो नजर झुका कर चले गए..

sare rah jo unse nazar mili,
to naksh dil ke ubhar gaye..
ham najar milakar jijhak gaye,
vo najar jhuka kar chale gaye..

30)

जिनके पास सिक्के थे
वह मज़े से भीगते रहे बारिश में..

जिनकी जेब में नोट थे
वह छत तलाशते रह गए..

jinke paas sikke the
vah maje se bhigte rahe barish mein..
jinki jeb me note the
vah chhat talaashte rah gaye..

Mirza Ghalib Shayari की मदद से हमें किसी भी तरह का गुनाह ना करने की हिदायत मिलती है. क्योंकि हमें खुद ही अपनी जिंदगी सवारने होती है. और हम खुद ही इस जिंदगी के जिम्मेदार होते हैं. फिर चाहे हमारे जीवन में कोई बुरी बात हो या फिर कोई अच्छी बात हो.

इसीलिए हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हमेशा अच्छे ही कर्म करें. हमारे हाथों से किसी के मन को दुखाने जैसा भी कोई गुनाह ना हो. हम किसी भी तरह का कोई गुनाह करते हुए कहीं छिप नहीं सकते. क्योंकि हम इस धरती पर या फिर आसमान में कहीं भी जाए. यह सारा अल्लाह ने ही तो दिया हुआ होता है.

Mirza Ghalib Shayari Urdu

हम किसी भी तरह कोई भूल कर ले. तो हमें उसकी तुरंत माफी मांग लेनी चाहिए. फिर चाहे वह भूल हम किसी अपने के साथ करें. या फिर वह हमारा कोई पराया हो. लेकिन गुनाह को कुबूल करने से हमारे दिल का बोझ भी हल्का हो जाता है.

और हमारी नियत भी कितनी साफ है यह सामने वाले को पता चलता है. गलती करने वाले से भी उसे माफ करने वाला बड़ा होता है. यह बात भी उतनी ही सच होती है. इसीलिए गालिब जी कहते हैं कि हमें प्यार में और अल्लाह की इबादत में कभी भी कसूरवार नहीं होना चाहिए.

31)

मरने की बात पे जो
रखते थे होठों पे उंगलियां..

अफसोस वही मेरी जात के
कातिल निकले..

marne ki baat pe jo
rakhte the hothon pe ungaliyan..
afsos vahi meri jaat ke
qatil nikale..

32)

आता है कौन-कौन तेरे
गम को बांटने ग़ालिब,

तू अपनी मौत की
अफवाह उड़ा के देख..

aata hai kaun kaun
tere gam ko baantne ghalib
tu apni maut ki
afwah uda ke dekh..

33)

यहां बिकता है सब कुछ
जरा रहना संभल के..

लोग हवा भी बेच देते हैं
गुब्बारे में डालके..

yahan bikta hai sab kuchh
jara rahana sambhal ke..
log hawa bhi bech dete hain
gubbare mein dal ke..

34)

कितनी अजीब है
नेकीयोंकी ज़ुस्तज़ू ग़ालिब..

नमाज भी जल्दी में पढ़ते हैं
फिर से गुनाह करने के लिए..

kitni ajeeb hai
nekiyon ki justaju ghalib..
namaj bhi jaldi mein padhte hain
fir se gunaah karne ke liye..

35)

किसी फ़कीर की झोली में
कुछ सिक्के डाले तो यह एहसास हुआ..

महंगाई के इस दौर में दुआएं आज भी सस्ती है..

kisi faqeer ki jholi mein
kuchh sikke dale to yah ehsas hua..
mahangai ke is daur mein duaayen aaj bhi sasti hai…

36)

गुनाह करके कहां जाओगे ग़ालिब..

यह जमीन आसमान सब उसी का है..!

gunah karke kahan jaaoge ghalib..
ye zameen aasman sab usi ka hai..!

37)

ताउम्र बस एक यही
सबक याद रखिए..

इश्क और इबादत में
नियत साफ रखिए..

taumra bus ek yahi
sabak yad rakhiye..
ishq aur ibadat mein
niyat saaf rakhiye..

38)

हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि
हर ख्वाहिश पे दम निकले..

बहुत निकले मेरे अरमान
लेकिन फिर भी कम निकले..

hazaro khwahishe aisi ki
har khwahish pe dam nikale
bahut nikle mere armaan
lekin fir bhi kam nikale..

39)

ये खामोश मिजाजी
तुम्हें जीने नहीं देगी,

इस दौर में जीना है तो
कोहराम मचा दो यारो..

yah khamosh mijaji
tumhen jeene nahin degi,
is daur mein jina hai to
kohram macha do yaaro..

40)

तोड़ा कुछ इस अदा से
ताल्लुक उसने गालिब..

के सारी उम्र अपना
कसूर ढूंढते रहे..

toda kuch is ada se
talluq usne ghalib..
ke sari umra apna
kasur dhundhte rahe..

Mirza Ghalib Shayari Urdu की मदद से अपने दिल के अरमान कहना चाहते हो. मिर्जा गालिब जीके दिल की बातों को ही वह अपने शेर में अर्ज करते हैं. और कहते हैं कि उनके दिल की चाहते तो कई सारी है.

और उन्होंने अपनी शायरियों में वक्त वक्त पर उन्हें बयां भी किया है. लेकिन फिर भी अब भी उनके दिल में बहुत से ख्वाब ऐसे हैं. जो अब तक उन्होंने किसी को बताए नहीं है. या फिर वह अभी तक पूरे नहीं हुए हैं. क्या आपके भी जल में ऐसे कुछ ख्वाब है दोस्तों? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं.

Mirza Ghalib Shayari In Hindi 2 Lines

मिर्जा गालिब जी अपने हर एक शायरी में गहराई वाली बात बताते हैं. और इस शेर में भी उन्होंने कुछ ऐसी ही बात कही है. वे हमें किसी भी तरह से खामोशी को तोड़ने के लिए कहते हैं.

क्योंकि उनका कहना है कि अगर हम यूं ही खामोश रहे. तो हम किसी भी मकाम तक नहीं पहुंच पाएंगे. और इसी वजह से हमें अगर कुछ नया सीखना है. या फिर हमें इस जमाने में कुछ नहीं बात करनी है. तो कुछ बड़ा सोचना होगा और बड़ा करना होगा.

41)

कितना खौफ होता है शाम के अंधेरों में..

पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते..

kitna khauf hota hai sham ke andheron mein..
puch un parindon se jinke ghar nahin hote..

42)

फकत बाल रंगने से
कुछ नहीं होता गालिब..

कुछ नादानियां भी किया करो,
जवान रहने के लिए..

fakat bal rangne se
kuchh nahin hota ghalib..
kuch nadaniyan bhi kiya karo,
jawan rahane ke liye..

43)

मजे जहां के अपनी
नजर में खाक नहीं..

सिवा-ए-खून-ए-ज़िगर
सो जिगर में खाक नहीं..

maje jahan ke apni
nazar mein khak nahin..
siva-ae-khoon-ae-jigar
so jigar mein khak nahin..

44)

मेरे बारे में कोई राय ना बनाना गालिब..

मेरा वक्त भी बदलेगा और तेरी राय भी..

mere bare mein koi rai na banana ghalib..
mera waqt bhi badlega aur teri rai bhi..

45)

अभी मशरूफ हूं काफी,
कभी फुर्सत में सोचूंगा..

के तुझको याद रखने में,
मैं क्या-क्या भूल जाता हूं..

abhi mashruf hun kafi,
kabhi fursat mein sochunga
ke tujhko yad rakhne mein,
main kya-kya bhul jata hun..

46)

है और भी दुनिया में
सुखनवर बहुत अच्छे..

कहते हैं कि ग़ालिब का है
अंदाज-ए-बयां और..

hai aur bhi duniya mein
sukhnavar bahut acche..
kahate hain ki ghalib ka hai
andaaz-e-bayan aur..

47)

मेहरबान होके बुला लो
मुझे चाहो जिस वक़्त..

मैं गया वक़्त नहीं हूं,
कि फिर आ भी ना सकूं..

meherbaan hoke bula lo
mujhe chaho jis waqt..
main gaya waqt nahin hun,
ki fir aa bhi na saku..

48)

हमने मोहब्बत के नशे में आकर
उसे खुदा बना डाला..

होश तब आया जब उसने कहा कि,
खुदा किसी एक का नहीं होता..

humne mohabbaton ke nashe mein aakar
use khuda bana dala..
hosh tab aaya jab usne kaha ki,
khuda kisi ek ka nahin hota..

49)

आह को चाहिए एक
उम्र असर होने तक..

कौन जीता है तेरी
ज़ुल्फ के सर होने तक..

aah ko chahiye ek
umra asar hone tak..
kaun jita hai teri
zulf ke sar hone tak..

50)

तकदीर पर यूं नाज मत कर, ऐ गालिब..

बस कफन हमारा जरा सा मैला था,
वरना शायर हम भी कुछ कम ना थे..

takdeer per yun naaz mat kar ghalib..
bus kafan hamara zara sa maila tha,
varna shayar ham bhi kuchh kam na the..

Mirza Ghalib Shayari in Urdu
Mirza Ghalib Shayari in Urdu

Mirza Ghalib Shayari In Hindi 2 Lines की मदद से अपनी खुद की गलती ढूंढना चाहोगे. अपने महबूब से आप जब प्यार का इजहार करते हो. तो वह आप पर पूरी तरह से विश्वास करता है. और आपको भी उस पर अपना पूरा यकीन होता है.

लेकिन उसके दिल तोड़ कर जाने के बाद आपका दिल अकेला हो जाता है. और वह इस तरह से आपके दिल के टुकड़े कर देता है. कि आपको पता ही नहीं चलता है कि आखिर गलती किसकी है. और आप बस खुद की ही गलती ढूंढते रह जाते हो.

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